द्रौपदी महाभारत का अहम किरदार है, द्रौपदी के बिना महाभारत की कल्पना नहीं की जा सकती | ये बात भी सत्य है कि महाभारत में हुए का कारण भी द्रौपदी से ही जुड़ा था, और पांडवो को युद्ध जितने की प्रेरणा भी द्रौपदी ने ही दी थी | द्रौपदी के मान सम्मान की प्राप्ति के लिए ही महाभारत का युद्ध हुआ और पांडवो ने कौरवो से इसका बदला लिया | इस युद्ध की समाप्ति के बाद द्रौपदी पुरे भारतवर्ष की महारानी बनी | द्रौपदी के जीवन से जुडी ऐसी कई बाते है, जिनके बारे में लोग जानकर हैरान हो जाते है, आज हम आपको उन्ही बातो से अवगत कराने जा रहे है |
निर्भीक व शक्तिशाली व्यक्तित्व
बताया जाता है कि द्रौपदी ने कभी भी अपने जीवन हार नहीं मानी और ना ही किसी से डरी | जब दुर्योधन द्रौपदी का चीरहरण कर रहा था था | उस समय सभा में भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य जैसे महान लोग भी वहां उपस्थित थे, लेकिन किसी ने दुर्योधन और उसके भाइयो का विरोध नहीं किया | उस समय द्रौपदी ने उन सभी को धिक्कारा था और उनकी कठोर निंदा की थी |
विवाहित होने पर भी कुंवारी
ऐसा उल्लेख मिलता है कि द्रौपदी हवन कुंड से पैदा हुयी थी | उसका विवाह 5 पुरुषो से हुआ था, जिस वजह से एक साल एक पांडव के साथ रहती थी | प्रत्येक एक साल के बाद वो अग्नि में प्रवेश करती थी और वह पूरी तरह से पवित्र हो जाती थी | इसी वरदान के चलते पुराणों में द्रौपदी को विवाहित होने के बाद भी कुंवारी की संज्ञा दी जाती है |
रखी थी ये शर्त
जब पांडवो ने द्रौपदी के सामने विवाह की बात रखी थी, तब द्रौपदी ने शर्त रखी थी कि वह विवाह करने के लिए तैयार है लेकिन वह अपने गृहस्थ जीवन की कोई भी वस्तु किसी अन्य महिला के साथ नहीं बाटेंगी | इस शर्त को मानने के बाद ही पांडवो की द्रौपदी से शादी हुयी थी |
इसे दिया था श्राप
विवाह के बाद एक समय में एक ही पांडव द्रौपदी के साथ समय बीता सकता था | और जब भी कोई द्रौपदी के साथ होगा तो संकेत के तौर पर उसकी चरणपादुका कक्ष के बाहर पड़ी होगी | एक बार युधिष्ठर द्रौपदी के साथ कक्ष में थे, तब अचानक एक कुत्ता युधिष्ठर की चरण पादुका ले गया और उसी समय अर्जुन किसी कारण से उस कक्ष में प्रवेश कर गए | अब सजा के तौर पर अर्जुन को एक वर्ष को वनवास झेलना पड़ा और उसी समय द्रौपदी ने कुत्ते की श्राप दिया था कि जब भी वह संबंध बनाएगा उसे दुनिया देखेगी |
इन्हे करती थी सबसे ज्यादा प्रेम
द्रौपदी के पांच पति थे लेकिन वह सबसे ज्यादा प्रेम भीम से करती थी, क्योंकि भीम ही थे जिन्होंने द्रौपदी के चीरहरण के समय सबसे पहले आवाज उठायी थी, जबकि सब पांडव मौन थे | उस समय भीम ने दुशासन के रक्त को पीने की कसम खायी थी, इसके अलावा भी द्रौपदी और भीम से जुड़े कई किस्से है |
अंतिम समय में कही थी ये बात
बताया जाता है कि अपने अंतिम समय में जब द्रौपदी और पांडव स्वर्ग जा रहे थे, तब अचानक द्रौपदी एक खाई में गिरने लगी तो भीम ने उन्हें पकड़ लिया लेकिन वे उन्हें बचा नहीं पाए | अपनी देह त्यागते समय द्रौपदी ने भीम से कहा था कि वो अगले जन्म में उनकी पत्नी बनना चाहेगी |