महाशिवरात्रि का पर्व हमारे देश में धूमधाम से मनाया जाता है | हिन्दुओ के प्रमुख त्योहारों में से एक इस त्यौहार का बहुत महत्व है | ऐसा बताया जाता है कि यदि इस दिन सच्चे मन से महादेव की पूजा की जाये तो मनचाहा फल प्राप्त किया जा सकता है | वैसे तो महादेव के भक्त सच्चे मन से पूजा अर्चना करते है, लेकिन कई बार जाने अनजाने में कुछ गलतियां हो जाती है, जिनका खामियाजा बाद में भुगतना पड़ता है | ऐसे में हम आपको उन गलतियों के बारे में बताने जा रहे है, जिनका आपको ख़ास ख्याल रखना है |
गलत परिक्रमा
मंदिर में परिक्रमा की जाती है लेकिन शिव मंदिर में परिक्रमा थोड़ी अलग तरीके से की जाती है | इसे गोलाकार में पूरा नहीं किया जाता है | इसके लिए आप शिवलिंग के बाईं ओर से परिक्रमा आरम्भ करे और वहां तक जाइये जहां शिवजी को अर्पित जल बहता है | इसके बाद वहां से मुड़कर पुनः विपरीत दिशा में चलते हुए जलधारा के दूसरे सिरे तक आकर परिक्रमा पूरी करे |
जल निकास के ऊपर से निकलना
एक बात का हमेशा ध्यान रखे कि शिवजी पर अर्पित जल की निकास धारा के ऊपर से कभी ना निकले | ये जल ऊर्जा और शक्ति से भरा होता है, ऐसे में इसके ऊपर से निकलना वीर्य और रजा से जुडी शारीरिक समस्या उत्पन्न कर सकता है |
शिवलिंग पर प्रसाद
शिवजी को जब भी प्रसाद करे तो उसे शिवलिंग पर ना रखे | इसे ना ही शिव जी ग्रहण करते है और साथ ही इससे पूजा का दोष भी लगता है |
शंख से जल चढ़ाना
आपने कई देखा होगा कई देवी देवताओ को शंख से जल चढ़ाया जाता है, लेकिन महादेव को नहीं क्योंकि शंख शंखचूड़ राक्षस की अस्थियों से उदित हुआ था और इस राक्षस का वध महादेव ने ही किया था | इसीलिए शंख से महादेव को जल नहीं चढ़ाया जाता |
शाम को जल चढ़ाना
शिवलिंग पर हमेशा सुबह के समय ही जल चढ़ाया जाता है, शाम के समय जल चढाने की मनाही है | इसीलिए भूलकर भी शाम को जल ना चढ़ाये |
ना चढ़ाये ये फूल
महादेव को कभी भी केसर, दुपहरिका, मालती, चम्पा, चमेली, कुंद या जूही के फूल ना चढ़ाये, ये महादेव को अप्रिय होते है |
टूटे हुए अक्षत
महादेव की पूजा में अक्षत का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इस बात का ध्यान रखे की ये अक्षत टूटे नहीं हो | शास्त्रों में टूटे अक्षत अशुद्ध माने गए है |