वर्ष 2020 का होली का त्यौहार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि सोमवार 9 मार्च के दिन मनाया जा रहा है | ज्योतिषीय गणना के अनुसार पूर्णिमा की तिथि रात के 11 बजकर 18 मिनट तक रहेगी | इसके बाद चैत्र पक्ष की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी | बता दे शास्त्रों में फाल्गुन की पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है | इसका सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक भी खूब महत्व है | धार्मिक मान्यताओं की माने तो इस दिन उपवास करने से मनुष्य के दुखो का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है |
जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 9 मार्च सुबह 3 बजकर 5 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 मार्च रात 11 बजकर 18 मिनट तक
होलिका दहन का मुहूर्त
ज्योतिषीय गणना के अनुसार होलिका दहन प्रदोष काल के बाद किया जायेगा | इसके पीछे की वजह यह है कि 9 मार्च को 1 बजकर 11 मिनट तक पृथ्वी लोक पर भद्रा रहेगी | बता दे जब चन्द्रमा कर्क, सिंह, कुम्भ और मीन राशि में होता है तो पृथ्वी की भद्रा होती है और 9 मार्च को चन्द्रमा सिंह राशि में विराजमान है | प्रदोष काल के साथ ही होलाष्टक भी समाप्त हो जायेगा और शुभ कार्य आदि फिर से शुरू हो जायेंगे |
होलिका दहन की सामग्री
होलिका दहन की पूजा के लिए आप बताई गयी सामग्री पहले से ही रख ले | एक लोटा जल, चावल, गन्ध, पुष्प, माला, रोली, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, गेंहू की बालियां |
होलिका दहन पूजा विधि
होलिका दहन के लिए सामग्री में आप 4 मालाएं भी ले | इनमे एक माला हनुमान जी की, एक शीतला माता की, एक पितरो की और एक अपने घर परिवार के लिए होती है | सबसे पहले दहन से पूर्व होलिका के चारो ओर सूत लपेटते हुए 5 या 7 परिक्रमा करे | इस परिक्रमा के बाद पूजा की सभी सामग्री होलिका को अर्पित कर दे | इसके बाद जल से अर्घ्य दे और घर के सदस्यों को तिलक लगाए | इसके बाद होली में अग्नि लगाकर उसकी परिक्रमा करे और चना, मुंग, चावल, नारियल, गेंहू की बालियाँ, बताशे आदि डाले |