जब भी नए घर का निर्माण किया जाता है, तो घर में गृह प्रवेश की पूजा कराई जाती है | शास्त्रों में भी बताया गया है कि नए घर में प्रवेश करने से पहले गृह प्रवेश की पूजा अवश्य कराई जानी चाहिए. क्योंकि इससे घर में मौजूद कोई भी गृह दोष दूर हो जाता है | साथ ही कोई नकारात्मक ऊर्जा भी घर में प्रवेश नहीं कर पाती है |
गृह प्रवेश की पूजा करते समय कई तरह की बातो का ध्यान रखा जाता है | इस पूजा के दौरान घर के मुख्य दरवाजे पर पंचसूलक और स्वास्तिक बनाया जाता है | हिन्दू धर्म शास्त्रों में स्वास्तिक और पंचसूलक का बहुत महत्व बताया गया है |
पंचसूलक और स्वास्तिक का महत्व
पंचसूलक और स्वास्तिक मंगल माने गए है | घर के मुख्य द्वार पर इन्हे बनाने से बुरी शक्तियां घर से दूर रहती है | साथ ही इससे घर में बरकत बनी रहती है | बता दे पंचसूलक को खुले हाथ की छाप भी कहा जाता है | जब भी घर में किसी शुभ कार्य का आरम्भ किया जाता है,तो पंचसूलक और स्वास्तिक अवश्य बनाया जाता है | मुख्य द्वार पर पंचसूलक बनाने से घर के सभी दोष तो दूर होते ही है, साथ ही इससे घर का सौभाग्य सदा चमकता रहता है | पंचसूलक और स्वास्तिक से घर में सदा सुख शांति बनी रहती है | घर के सदस्यों को किसी मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ता | साथ ही व्यापार और नौकरी में दिन दौगुनी रात चौगुनी होती है |
इस तरह बनाये स्वास्तिक
स्वास्तिक बनाने के लिए भी हल्दी या कुमकुम का इस्तेमाल किया जाता है | इसके लिए आप स्वास्तिक या हल्दी का घोल तैयार कर ले और अपने मुख्य द्वार या मंदिर में स्वास्तिक की चित्रानुसार आकृति बनाये |
इस तरह बनाया जाता है पंचसूलक
पंचसूलक हल्दी या कुमकुम से बनाया जाता है | इसके लिए आप हल्दी या कुमकुम को एक पात्र में अच्छी तरह से घोल ले | अब इस घोल में अपना हाथ डुबोये और अच्छी तरह अपनी हथेली पर कुमकुम लगाए | अब इस हाथ की मुख्य द्वार पर छाप लगाए | बता दे इसे आप मंदिर की दीवार पर भी लगा सकते है |