अक्षय तृतीया का दिन बेहद शुभ माना जाता है | इस पर्व को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है | बता दे इस पर्व को शास्त्रों में बेहद शुभ माना गया है, इसके बारे में कहा जाता है की इस दिन किसी भी शुभ कार्य को प्रारम्भ करने से पहले पंचांग देखने की जरूरत नहीं होती है | इस वर्ष ये अक्षय तृतीया 26 अप्रैल को आ रही है, साथ ही इस दिन 6 राजयोग भी बन रहे है |
शास्त्रों में बताया गया है कि अक्षय तृतीया के दिन घर में सोना लाने अर्थात सोना खरीदने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनती है और माँ लक्ष्मी सदा प्रसन्न रहती है | वैसे देखा जाये तो हर किसी व्यक्ति का सामर्थ्य नहीं होता कि वह सोना खरीद सके | ऐसे में आज हम उन लोगो के लिए ख़ास उपाय लाये है | हम आपको कुछ कार्यो के बारे में बताने जा रहे है | आप अक्षय तृतीया के दिन उन कामो को कर ले, इससे आप पर माँ लक्ष्मी की कृपा अवश्य बनेगी |
करे इस तरह पूजन
आप अक्षय तृतीया के दिन विधिपूर्वक माँ लक्ष्मी का पूजन करके माँ लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते है | इसके लिए आप सुबह प्रातः स्नान करे और पीले वस्त्र धारण करे | अब मंदिर में एक चौकी रखे और उस पर माँ लक्ष्मी की और भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करे | अब माँ लक्ष्मी को फूल अर्पित करे और अगरबत्ती जलाये | अब भगवान विष्णु जी की आरती करे और माँ लक्ष्मी से धन और सुख शांति की कामना करे |
करे दान
दान को सबसे बड़ा धर्म बताया गया है | इस दिन आप गरीबो को आवश्यक वस्तुए अवश्य दान करे और उन्हें भोजन कराये | इससे माँ लक्ष्मी प्रसन्न होगी और आप पर कृपा बनाएगी |
करे इन मंत्रो का जाप
अक्षय तृतीया के दिन माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए माँ लक्ष्मी के मंत्रो का जाप करे | इससे माँ लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है |
> ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।
> ॐ आं ह्रीं क्रौं श्री श्रिये नम:
ममा लक्ष्मी नाश्य-नाश्य मामृणोत्तीर्ण
कुरु-कुरु सम्पदं वर्धय-वर्धय स्वाहा:।
> पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे
तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।।
> ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम: |
> ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये,
धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।
> ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अर्ह नम:
महालक्ष्म्यै धरणेंद्र पद्मावती सहिते हूं श्री नम:।
> ऊं ह्रीं त्रिं हुं फट 8. ऊं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं,
ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नमः |
> ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै
अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
> ॐ श्रीं श्रियै नमः।