17 सितम्बर से अधिकमास या मलमास का आरम्भ हो चूका है | अधिकमास को और भी कई अन्य नामो से जाना जाता है, जैसे मलिम्लुच मास, पुरुषोत्तम मास और मलमास | अधिकमास का बड़ा महत्व है, इस मास में किये गए पूजा पाठ का 10 गुना फल प्राप्त होता है | मलमास तीन साल की अवधि में एक बार आता है | जानकारी के अनुसार अधिकमास 32 महीने, 16 दिन और 4 घटी के अंतर से आता है | मलमास की अवधि मे कुछ कार्यो को करने की मनाही की गयी है | आज हम आपको उन्ही कार्यो के बारे में बताने जा रहे है |
विवाह आदि कार्य
अधिकमास की अवधि में विवाह जैसे कार्यो की मनाही होती है | इस अवधि में विवाह करना अशुभ माना जाता है | ऐसा बताया जाता है कि इस अवधि में विवाह करने से विवाहितो को सुख की प्राप्ति नहीं होती है | ना ही उन्हें शारीरिक सुख की प्राप्ति होती है | साथ ही पति पत्नी में बहस का सिलसिला चलता रहता है | इसीलिए इस इस अवधि में विवाह की मनाही होती है |
नया व्यवसाय
अधिकमास में नया व्यवसाय आरम्भ नहीं करना चाहिए | बताया जाता है कि इस अवधि के दौरान आरम्भ किया गया व्यापार आर्थिक तंगी लाता है | जातक आर्थिक परेशानियों से घिरने लगता है | ऐसे में इस अवधि में नए व्यवसाय और निवेश से बचना चाहिए |
मंगल कार्य
अधिकमास के दौरान किसी भी प्रकार के मंगल कार्य नहीं करने चाहिए | मुंडन, कर्णवेध, गृहप्रवेश जैसे कार्यो को अधिकमास की अवधि के दौरान टालना ही शुभ माना गया है | साथ ही इस दौरान आप सम्पति के क्रय विक्रय से भी बचे | बताया जाता है कि इस अवधि में खरीदी गयी सम्पति आपके किसी नुकसान की वजह बन सकती है |
करे ये कार्य
मलमास को भौतिक सुखो को त्याग प्रभु की भक्ति में रमने का माह कहा गया है | इस दौरान पूजा पाठ, हवन, दान पुण्य और व्रत आदि करने चाहिए | देवी भागवत पुराण के अनुसार मलमास में किये गए पुण्य कार्य कई गुना फल प्रदान करते है | इस अवधि में आप दान पुण्य अवश्य करे |