गुरुवार का दिन भगवन विष्णु के साथ साथ देवगुरु बृहस्पति को भी समर्पित है | ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह को विकास, शिक्षा, विशालता, सुख और समृद्धि का कारक माना गया है | गुरु ग्रह के मजबूत होने से व्यक्ति दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता है | ऐसे में व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह का मजबूत होना बहुत आवश्यक है | यदि आपके जीवन में आर्थिक, विवाह या सेहत से जुडी किसी प्रकार की कोई समस्या चल रही है, तो हम आपके लिए कुछ उपाय लेकर आये है | जिनकी मदद से आप दुखो से मुक्ति पा सकते है | तो आइये जानते है, आज की इस पोस्ट में आपके लिए क्या ख़ास है |
इस तरह दूर होगी आर्थिक समस्या
यदि आपके जीवन में आर्थिक परेशानियां चल रही है, तो आप ये उपाय करे | आप गुरुवार के दिन सूर्योदय से पहले स्नानादि से निवृत हो जाए | इसके बाद भगवान विष्णु के समक्ष दीप जलाये और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करे | अब आप गुरु ग्रह की पूजा करे | गुरु ग्रह की कृपा और श्रीहरि के आशीर्वाद से आपकी आर्थिक समस्या दूर होगी | इसके अलावा गुरुवार के दिन पीपल के पेड़ को जल चढाने और बेसन की बनी मिठाई अर्पित करने से भी शुभ फल प्राप्त होता है |
विवाह में अड़चन की समस्या से मुक्ति
जिन लोगो का विवाह नहीं हो पा रहा है या कोई ना कोई समस्या हर पैदा हो जाती है | तो इसकी वजह कुंडली में कमजोर गुरु ग्रह हो सकता है | इसके लिए आप ये उपाय करे | आप गुरुवार के दिन सुबह जल्दी स्नान कर ले, नहाने के पानी में आप थोड़ी सी हल्दी मिला ले और स्नान के बाद हल्दी का तिलक अपने माथे पर लगा ले | अब आप केले के पेड़ की पूजा करे और उस पर हल्दी और चने की दाल चढ़ाये और एक दीपक प्रज्वलित करे | पूजा के बाद आप व्रत का संकल्प ले और शाम को व्रत खोले | इससे गुरु ग्रह मजबूत होगा |
मिलेगी निरोगी काया
यदि आप या आपके परिवार का कोई सदस्य अक्सर किसी ना किसी रोग से पीड़ित रहता है, तो आपको ये उपाय करना चाहिए | आप गुरुवार के दिन गुरु ग्रह की कथा का पाठ करे | पाठ करते समय अपने सामने एक दीपक जला ले | कथा के बाद मिठाई लोगो में बाँट दे | 5 गुरुवार तक ये उपाय करने के बाद आपकी सेहत में शीघ्र ही सुधार आने लगेगा |
यदि आप एक सुखी जीवन जी रहे है, और चाहते है कि आपके जीवन में सदा ही ऐसी स्थिति बनी रहे | तो गुरुवार के दिन आप देवगुरु बृहस्पति की आरती अवश्य करे | बता दे इस दिन पीले रंग की वस्तुओ का दान मनोरथो की सिद्धि करता है |
बृहस्पति देव की आरती
ॐ जय बृहस्पति देवा
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे।
जेष्टानंद बंद सो-सो निश्चय पावे।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।