आज की इस दुनिया में साइंस के बढ़ते क़दमों ने भगवान के आस्तित्व पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है | लेकिन हम जो आज आपको दिखाएंगे कि कैसे एक मंदिर के चमत्कार को स्वयं पाकिस्तान के ब्रिगेडियर ने भी उसमे विश्वास किया है |
भारत में जब हम राजस्थान का नाम लेते है तो हमारे दिमाग में एक ही तस्वीर आती है और वह तस्वीर है रेगिस्तान कि | हम आपको बताना चाहते है कि राजस्थान के 33 जिलों में से 12 जिले रेगिस्तानी है | इसी प्रकार राजस्थान का सबसे बड़ा जिला जैसलमेर है | इस जिले में तनोट नाम का गांव है | जहाँ से रेडक्लिफ लाइन से मात्र 20 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है |
इस तनोट गांव में एक मंदिर बना हुआ है जिसे तनोट माता का मंदिर कहते है | इस मंदिर को भाटी राजवंश कि आराध्य देवी का मंदिर भी कहा जाता है | इस मंदिर के चारो और सिर्फ रेगिस्तान ही रेगिस्तान है | इस तनोट माता को सेना की देवी भी कहा जाता है |
भारत का पडोसी मुल्क पाकिस्तान शुरू से ही भारत का शत्रु रहा है | इसके चलते भारत और पाकिस्तान के मध्य कई बार युद्ध हुए है | पाकिस्तान ने 1965 में जैसलमेर से भारत में घुसने का प्रयास किया था | इसी के चलते वहाँ भारी बमबारी भी कि थी | इस मंदिर कि खास बात ये है कि 1965 कि लड़ाई में पाकिस्तान द्वारा चलाये गए तोप के गोले नहीं फटे थे | वे जीवित आज भी इसी मंदिर में है | इसके बाद जब भारत 1965 कि जंग जीत गया तो माता के चमत्कारों के आगे पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान नतमस्तक हो गए | उन्होंने भारत सरकार से यहां दर्शन करने की अनुमति मांगी |
लेकिन दो साल से भी ज्यादा समय तक कोशिश करने पर पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान को जब माता के दर्शन करने कि इजाजत मिली तो उन्होंने तनोट माता के दर्शन कर यहाँ एक चांदी का छत्र भी चढ़ाया | तनोट माता के मंदिर में पूजा भक्तजन रुमाल बांधकर करते है इसलिए इसे रूमाल वाली माता भी कहते है | इस मंदिर कि पूजा किसी पुजारी द्वारा नहीं बल्कि भारत के सैनिको द्वारा किया जाता है | यही कारण है कि इसे सैनिको कि माता भी कहते है |
यह माता का मंदिर भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में अपने इस चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है | यह मंदिर वर्तमान में यह सिद्ध करता है आज कि साइंस कितनी ही आगे हो लेकिन भगवान कि महिमा के आगे बहुत छोटी है | तनोट माता के मंदिर पर एक फिल्म भी बन चुकी है |