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सैकड़ो वर्षो से जल रही है माँ दुर्गा की ये अखंड ज्योति | लेकिन ज्योति से कालिक नहीं बल्कि टपकता है केसर..

Dec 16 2018

Posted By:  Sandeep

भारत में आस्था और धर्म में काफी विश्वास किया जाता है | पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है | जहाँ स्त्रियों की पूजा की जाती है | भारत में माँ दुर्गा को असुरविनाशनी, मंगल कामिनी के रूप में पूजा जाता है | आज हम आपको भारत के ऐसे दुर्गा माँ के मंदिर के बारे में बताने जा रहे है, जिसकी महिमा सबसे अलग है और ये भारत के सबसे चमत्कारी मंदिरो में से एक है |


भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के पश्चिमी जिले जोधपुर में एक मंदिर है | यह बिलाड़ा नामक गाँव में स्थित है | इस मंदिर को आई माता का मंदिर कहते है | आप इसके चमत्कार को देखकर दंग रह जायेंगे | जो चमत्कार भारत के चार धाम मंदिरो में नहीं देखने को नहीं मिलता है, वह यहाँ मिल जाता है |

यहाँ माता के अखंड ज्योति जलती है | हैरान करने वाली बात यह है की इस ज्योति से कभी भी कालिक नहीं टपकता है | बल्कि केसर टपकती है | जिसे श्रद्धालु अपने नेत्रों पर लगाते है | दोस्तों आपको हो सकता है इस बात पर विश्वास ना हो | लेकिन इस बात की पुष्टि स्वयं राजस्थान सरकार कर चुकी है | उन्होंने इस बात को सही मानते हुये | इसे बिलाड़ा गाँव की प्रमुख लोकदेवी कहा है |

लेकिन इस देवी का चमत्कार सिर्फ इतना ही नहीं है की इसकी ज्योति से कालिक नहीं बल्कि केसर टपकती है | इसके अतिरिक्त इस मंदिर में गुर्जर समुदाय के किसी भी व्यक्ति का जाना निषेध है | यदि फिर भी कोई गुर्जर जाति का कोई व्यक्ति इस मंदिर में जाता है तो इस ज्योति से केसर के स्थान पर कालिक टपकने लग जाती है |



अब आपके दिल में सिर्फ एक ही सवाल उठ रहा होगा और वह ये है की सिर्फ गुर्जर जाति के व्यक्ति के प्रवेश करने पर ही ऐसा क्यों होता है | इसके पीछे बहुत बड़ा कारण है | ऐसा माना जाता है की काफी समय पहले मालवा साम्राज्य के लूटेरो से बचती हुई आई माता गुजरात आयी थी | लेकिन गुर्जर जाती के कुछ लोगो ने इसे बंदी बनाकर पुनः मालवा के लुटेरों को सौंप दिया |

इसके पश्चात् उन्होंने पुनः लुटेरों को चकमा दिया और बाद में राजस्थान आ गयी | जब इन्होने मारवाड़ में बाबा रामदेव का यशगान सुना तो उन्हें अपना आराध्य देव मान लिया और बिलाड़ा गांव में एक नीम के पेड़ के नीचे आई पंथ की स्थापना की | इसके पश्चात् इन्होने जब देवलोक गमन किया तो उनका मंदिर बनवाकर आई माता के रूप में पूजा जाने लगा | जब इनकी ज्योत जलाई गयी तो देखा गया की इनकी ज्योति से कालिक नहीं बलि केसर टपकती है | इसे देखकर लोग दंग रह गए | 


चूँकि गुर्जर समुदाय के कुछ लोगो ने इनके साथ धोखा किया था | इसलिए कहा जाता है की इनके मंदिर में कोई भी गुर्जर जाति का व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता है | कुछ लोगो का ऐसा मानना है की यह दुर्गा माता की अंशावतार है | इसलिए इनकी पूजा दुर्गा माता के रूप में भी की जाति है | 
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