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ये है माँ वैष्णो देवी का रहस्यमयी मंदिर, पहले दफ़न थे ये राज | जानिए...

Dec 20 2018

Posted By:  Sandeep

भारत एक ऐसा देश है जिसके कण-कण में आस्था और विश्वास है | यहाँ भगवान पर स्वयं से भी ज्यादा भरोसा किया जाता है | भारत में जितने हॉस्पिटल्स नहीं है | उससे कई अधिक मंदिर है | आज हम आपको माँ वैष्णो देवी के उस चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे है | जिसके चमत्कार को सुनने के बाद आप भी स्तब्ध रह जायेंगे |


माँ वैष्णो देवी का यह प्रसिद्ध मंदिर जम्मू और कश्मीर कटरा क्षेत्र से 12 किलोमीटर दूर स्थित है | यहाँ पर्वत की चोटी पर माँ भवानी विराजमान है | हम आपको बता देना चाहते है की यह भारत के तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक स्थल है | यहाँ देश-विदेश से पर्यटक आते है | लेकिन आज हम आपको माँ वैष्णो देवी के चमत्कार की अद्भुत कहानी सुनाने जा रहे है |

ऐसा कहा जाता है की कटरा क्षेत्र से दूर हंसाली नामक गाँव में एक सज्जन पुरुष रहा करते थे | जिनका नाम श्रीधर था | एक बार उनको कन्याओ को भोजन कराने का विचार आया | उन्होंने गाँव की 5 कन्याओ को बुलावा लिया और उन्हें भोजन करवा दिया | सभी कन्याये भोजन करके चली गयी | लेकिन एक नहीं गयी | 


जब श्रीधर जी ने उनसे ना जाने की वजह पूछी तो उन्होंने कहा की आप सारे गाँव को भोजन कराने का निमंत्रण देकर आओ | एक छोटी से लड़की की इस बात को सुनकर श्रीधर दंग रह गये | उन्होंने ऐसा ही किया | जब वे गाँव में निमंत्रण दे रहे थे तो बीच में भैरव और गोरखनाथ भी रहा करते थे |  

जब भैरव ने यह सुना की एक लड़की पूरे गांव को भोजन करा रही है तो वह सोचने लगा की वह कोई साधारण लड़की नहीं है | वह तुरंत उसके पास गये | उन्होंने देखा की एक लड़की सभी गाँव वालो को भोजन करवा रही है | भोजन की सामग्री देवलोक से आ रही है | भैरव यह देखकर सोच में पड़ गया | उसने कन्या का उपयोग अपनी साधना के लिए करना चाहा | 

जब भोजन करने की भैरव की बारी आई तो उसने मांस का सेवन करने की मांग की | जिसे सुनकर कन्या रूप में माँ भवानी ने कहा की मैं ऐसा नहीं कर सकती | लेकिन भैरव ने जिद की | उसी समय कन्या पवन की गति से उड़कर दूर एक गुफा में जाकर तपस्या करने लग गयी | कन्या के पीछे भैरव भी चला गया | 

जब उसे पता चला की इस गुफा में कन्या तपस्या कर रही है तो वह उसमे जाने लगा | तभी, उसे एक आवाज आई की वह अंदर प्रवेश ना करे | लेकिन उसने कन्या की एक भी बात नहीं सुनी और उसने दिव्य कन्या को युद्ध के लिए ललकार दिया | उस समय कन्या ने अपना विकराल रूप दिखाया और चंडी का रूप धारण किया |  


इसी दिन के बाद कन्या रुपी माता को माँ वैष्णो देवी के रूप में जाना जाने लगा | उन्होंने अपनी तलवार से भैरव का सर धड़ से अलग किया | सर दूर एक घाटी में जाकर गिरा | जिसे भैरव घाटी कहा जाता है | जब भैरव ने माता से क्षमा मांगी तो उन्होंने उसे वरदान दिया की जो भी मेरे दर्शन करेगा | उसे तुम्हारे भी दर्शन करने पड़ेंगे | इसके उपरांत ही मेरे दर्शनों का उसे लाभ मिल पायेगा |

कुछ दन्त कथाये यह भी कहती है की माता को ललकारने के पश्चात् भैरव ने गुफा के प्रमुख द्वार को बंद कर दिया था | जिसके कारण माता वैष्णो देवी को गुफा को तोड़कर बाहर आना पड़ गया था | जिस समय माता ने गुफा को तोडा था | उस समय घोर गर्जना हुई थी | इसलिए इसे गर्भ गुंजन गुफा भी कहा जाता है | 


दोस्तों, यह थी माँ वैष्णो देवी की असली कहानी | चूँकि यह एक ऐतिहासिक और काफी प्राचीन मंदिर है | इसलिए प्रत्येक विद्वान अपना एक अलग मत प्रस्तुत करते है | जो माँ वैष्णो देवी की वास्तविक कथा पर पर्दा डाल देते है | लेकिन अधिकांशतः इतिहासकार हमारे द्वारा प्रकाशित की गयी कहानी का ही समर्थन करते है | 
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