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भारत का वह मंदिर जिसके प्रसाद में छिपा है लकवे की बीमारी का इलाज | जानिए...
Jan 05 2019
भारत में ऐसा कहा जाता है मंदिर दुनिया में सबसे पवित्र जगह है | भारत के कई कवियों ने अपने ग्रंथो में मंदिरो में चिकित्सालय की संज्ञा भी दी है | ऐसा कहा जाता है की यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से मंदिर जाता है तो वह कभी मानसिक बीमारी का शिकार नहीं होता है | इसके साथ ही उसके शरीर में ऊर्जा और आत्मविश्वास का भी संचार होता है | आज हम आपको ऐसा ही एक उदाहरण बताने जा रहे है, जहाँ यदि कोई व्यक्ति जाता है और प्रसाद खाता है तो उसके सारे दुखो का नाश हो जाता है | यदि वह व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है तो वह बीमारी भी उसके शीघ्र ही समाप्त हो जाती है |
यह मंदिर राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है | चित्तौड़गढ़ से ठीक 13 किलोमीटर दूर कपासन नाम का क्षेत्र पड़ता है, जहाँ यह मंदिर स्थित है इसे वटयक्षिणी माता का मंदिर कहते है | इसे झांतलामाता के नाम से भी पुकारा जाता है | ऐसा कहा जाता है की यदि कोई व्यक्ति इस मंदिर में जाकर पूरी श्रद्धा से माता की पूजा करता है तो शीघ्र ही लकवे की बीमारी से ठीक हो जाता है | पुरे चित्तौड़गढ़ जिले में माता का नाम प्रसिद्ध है |
इसका इतिहास प्रतिहार शासक के समय का बताया जाता है | कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण प्रतिहारो के एक शासक महेन्द्रपाल द्वितीय के समय हुआ था | लेकिन कुछ लोग इसका इतिहास चौहानो के समय का बताते है | लेकिन वटयक्षिणी मंदिर में उत्कृणित एक शिलालेख के अनुसार महेंद्रपाल द्वितीय द्वारा महिषासुरमर्दिनि के नाम से एक गांव दान दिए जाने के उल्लेख है | जो यह सिद्ध करता है की इस मंदिर का निर्माण प्रतिहार शासको ने ही करवाया था |
इसे देखने के लिए दूर-दूर से ही पर्यटक आते है | लोगो की मान्यता है की यदि व्यक्ति माता के प्रति पूर्ण श्रद्धा रखता है और वह दिल से माता के चरणों में अपना शीश नवाता है तो वह जल्द ही माता की कृपा का पात्र बन जाता है | राजस्थान में यूँ तो माता वटयक्षिणी के अनेको मंदिर है | लेकिन इस मंदिर की एक अलग ही पहचान है |
यह राजस्थान की एकमात्र ऐसी माता है जिसकी पूजा प्रारंभिक हर वंश के शासको के द्वारा की गयी है | इसका निर्माण प्रतिहार शासको के द्वारा करवाया गया | लेकिन यह चौहानो की प्रमुख देवियों में से एक थी | इसका प्रमाण इस बात से मिलता है की इन्द्रराज चौहान इस माता का उपासक था |
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