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यहाँ आज भी रहते है भगवान राम के वंशज | लेकिन पूरी तरह हो चुके है बदनाम...

Jan 12 2019

Posted By:  Sandeep

भगवान राम को मर्यादा पुरूर्षोत्तम कहा जाता है | जब उन्होंने महापापी रावण का अंत किया था तो उस समय उनकी कीर्ति चारो ओर फ़ैल गयी थी | भगवान राम के जीवन में सबसे दुखदाई समय सीता माँ के विच्छोह का था | जहाँ एक ओर भगवान राम महलो के सुख भोगते रहे | वहीँ दूसरी ओर माँ सीता को जंगल में रहकर अपना जीवन यापन करना पड़ा था | लेकिन यह भी एक सच्चाई है की जब तक सीता माँ जंगल में थी उस दौरान अयोध्या में राम भी सुखी नहीं थे | आदिकवि महर्षि वाल्मीकि ने अपने ग्रन्थ रामायण में भगवान राम के चरित्र की पूरी कहानी लिखी है | लेकिन आज भगवान राम के वंशज कहाँ है ? वे किस परिस्थिति में है | हम आपको यही बताने जा रहे है |  


भगवान राम के दो पुत्र थे | जिनका नाम लव और कुश था | भारत में आज भी भगवान राम के पुत्र कुश में वंशज रहते है | आज भी यह कुश की तरह शासन करते है | हाल ही में जयपुर राजघराने की महारानी पद्मिनी ने एक इंग्लिश चैनल को दिए इंटरव्यू में यह दावा किया है की वे भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज है |

जयपुर साम्राज्य के अंतिम शासक महाराजा मानसिंह के पुत्र भवानी सिंह जी कुश के 309वे वंशज कहे जाते है | इनकी पत्नी पद्मिनी देवी है जिन्होंने यह दावा किया है | इससे पहले भी यह कई बार अपने आप को कुश का वंशज बता चुके है | इनका मानना है की कुश के वंशज के नाम पर ही इनके वंश का नाम कुशवाह पड़ा था, जिसका कालांतर में परिवर्तित रूप कछवाह हो गया |

हम आपको बता देना चाहते है की आज यह राजघराना भारत के सबसे बदनाम राजघरानो में गिना जाता है | इसी कछवाह वंश के शासक राजा भारमल ने राजस्थान में पहली बार अधीनता स्वीकार की थी और मुगलो को भारत में अपने कदम ज़माने के लिए सहायता की थी | इतना ही नहीं यह राजस्थान का सबसे अमीर राजघराना है | इनके पास करोडो रूपये की संपत्ति है | 



यह राजघराना सदैव युद्धों से बचता आया है | पहले मुगलो की अधीनता स्वीकार करने के बाद अंग्रेजो का भी यह वंश गुलाम रह चुका है | 1857 की महान क्रांति के समय इस वंश ने अंग्रेजो की काफी सहायता की थी | बहुत कम युद्धों और बाहरी ताकत की छत्रछाया के तले रहने से इन पर बहुत कम आक्रमण हुए है | इसलिए इन्होने अपना पैसा बेकार नहीं जाने दिया | यही कारण है की राजस्थान में जयपुर इतना विकसित शहर है |

स्वयं मुग़ल शहंशाह अकबर आमेर ( जयपुर ) राजघराने की बहादुरी और चतुराई से प्रभावित थे | इस वंश के राजा मानसिंह प्रथम अकबर के नवरत्नों में से एक रत्न थे | मुगलो के अंतिम शक्तिशाली शासक औरंगजेब ने भी जयपुर राज घराने की काफी प्रशंसा की थी | जिस मराठा शासक शिवजी को मुगल झुका ना सके उसे कच्छवाह वंश के शासक मिर्जा राजा जयसिंह ने संधि करने के लिए मजबूर कर दिया था | 


मुगलो और अंग्रेजो की चापलूसी करने के बाद इन्होने अपने राज्य का विस्तार तो किया है | लेकिन भगवान राम के पुत्र कुश की कीर्ति को भी कलंकित किया है | इनके पास अपार संपत्ति क्यों ना हो, लेकिन इतिहास इन्हे कायर, चापलूस ही कहेगा | यही कारण है की इन्हे राजस्थान का सबसे बदनाम राजघराना कहते है | इस वंश में आज भी राज्याभिषेक प्रथा निभाई जाती है | आपके इस राजघराने के बारे में क्या विचार है हमे तुरंत कमेंट करके बताये |
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