हिन्दू देवी-देवताओ में सूर्य पुत्र शनिदेव को कर्मो का फल देने वाला बताया गया है | हम जो भी कर्म करते है उनका प्रभाव व्यक्ति विशेष के नक्षत्रो पर पड़ता है | यदि व्यक्ति द्वारा खराब कर्म किये जाते है तो उसका दंड शनिदेव ही देते है | हमारे पुराणों में शनि को ग्रह कहा गया है | इसके अतिरिक्त इसे कृषि का देवता भी कहते है |
हम सब अकसर देखते है कि.. शनिवार के दिन कर्म फल दाता शनिदेव पर तेल चढ़ाया जाता है, और सरसों के तेल का ही दीपक जलाया जाता है | क्या इसके पीछे कि वजह आप जानते है ? आज हम आपको इसकी वजह विस्तार से बताने जा रहे है |
सूर्य पुत्र शनिदेव को तेल चढ़ाने की कई पौराणिक कथाए प्रचलित है | बहुत सारी दंतकथाएं ऐसी है जिसमे शनिदेव पर तेल चढ़ाने की बात कही जाती है | यूँ तो अनेक विद्वान् अपने-अपने मत प्रस्तुत करते है | लेकिन हम आपको पुराणों को बताया गया और ऋषियों के द्वारा कहा गया सार्वत्रिक मत ही बताएँगे |
हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि रामायण काल में रावण अपने अहंकार में चूर था, वह ब्रह्मा और शिव से वरदान पाकर इतना बलशाली हो गया था की उसने यम को परास्त करके यमलोक में अपना अधिकार कर लिया था | मृत्यु के देवता को जितने की वजह से उसे कोई मार भी नहीं सकता था | उसने नवग्रहों को अपने राजदरबार में हाथ जोड़कर खड़ा कर रखा था अर्थात उन्हें बंदी बना रखा था और शनिदेव को उल्टा लटका रखा था | इसी पराक्रम और शक्ति के बल में उसने महासती माँ सीता का हरण कर लिया था |
जब हनुमानजी प्रभु राम के दूत बनकर माता सीता को खोजने लंका गए तो वहाँ हनुमानजी ने रावण की अशोक वाटिका को उजाड़ दिया | तत्पश्चात रावण पुत्र इंद्रजीत ने ब्रह्मास्त्र में बांधकर हनुमान जी को रावण के सामने प्रस्तुत किया | तब क्रोध में आकर रावण ने हनुमाजी की पूंछ में आग लगाने का आदेश दे दिया |
पूंछ में आग लगने से क्रोधित होकर हनुमानजी ने भी पूरी लंका जला दी थी | लंका जलने के कारण सारे ग्रह आजाद हो गए थे |लेकिन उल्टा लटका होने के कारण शनिदेव के शरीर में भयंकर पीड़ा हो रही थी, और शनिदेव दर्द से कराह रहे थे | तब शनिदेव के दर्द को शांत करने के लिए हनुमान जी ने उनके शरीर पर सरसो के तेल से मालिश की थी |
जिससे शनिदेव को दर्द और पीड़ा से मुक्ति मिल गयी थी | उसी समय शनिदेव ने कहा था कि:- जो भी व्यक्ति श्रद्धा भक्ति से मुझ पर तेल चढ़ाएगा उसे सारी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी | तभी से सूर्य पुत्र शनिदेव पर तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई थी | जो आज तक चली आ रही है | इसके अतिरिक्त उन्होंने हनुमान जी को यह वचन भी दिया था की जो व्यक्ति तुम्हारी और प्रभु राम की पूजा करेगा उस पर मेरी नकारात्मक दृष्टि नहीं पड़ेगी |