भगवान शिव की महिमा अनंत है वे इस संसार में अलग-अलग रूपों में पूजे जाते है | मनुष्य के द्वारा भगवान शिव को जल और दूध अर्पित करना अत्यंत लाभदायक माना गया है | जब भी आप मंदिर जाते है तो शिवलिंग के पास नंदी की प्रतिमा आप जरूर देखते होंगे | उस समय हर किसी के मन में यह सवाल आता है की आखिर क्यों भगवान शंकर ने नंदी को अपनी सवारी के रूप में चुना और भगवान शिव के साथ उनकी पूजा क्यों की जाती है | आइये इसके बारे में विस्तार से जानते है |
शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव की एक शिलाद नामक महर्षि ने घोर तपस्या की थी | जब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उनसे वरदान में कुछ मांगने को कहा तो उन्होंने एक तेजस्वी पुत्र को माँगा | शिवजी ने शिलाद को नंदी नामक पुत्र दिया | शिलाद बहुत बड़े ऋषि थे | उन्होंने नंदी को अपने आश्रम में ही पढ़ाया |
कुछ समय बाद जब नंदी बड़े हुए तो मित्र और वरुण नामक ऋषि शिलाद के आश्रम पहुंचे | शिलाद ने नंदी को इन दो ऋषियों की सेवा करने का आदेश दिया | काफी समय बाद वरुण और मित्र ऋषियों ने अपने आश्रम जाने का फैसला किया | उन्होंने जाते-जाते शिलाद को दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया | लेकिन नंदी को यह आशीर्वाद नहीं दिया | यह सोचकर शिलाद काफी दुखी हो गए |
उन्होंने सभी संतो की एक सभा बुलाई और उन्होंने अपने मन की बात साधुओ के सम्मुख रख दी | उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला की महर्षि मित्र और वरुण कोई साधारण ऋषि नहीं है वे कोई भी बात यूँ ही नहीं कहते है | उनके एक-एक वाक्य के पीछे बहुत बड़ी कहानी छिपी होती है | उन्होंने कहा की संभवतः नंदी अल्पायु है वह अधिक दिनों तक जीवित नहीं रहेगा | जबकि शिलाद ऋषि दीर्घायु है वह अपनी उम्र पुरे पाएंगे |
यह सोचकर शिलाद ऋषि और भी परेशान हो गए | जब नंदी ने देखा की उनके पिता कुछ समय से काफी परेशान है तो उन्होंने अपने पिता से इसके पीछे का रहस्य जानना चाहा | शिलाद ऋषि ने कहा की पुत्र तुम अल्पायु हो | पिता की यह बात सुनकर नंदी ने उन्हें निश्चिन्त रहने के लिए कहा और पास ही भुवन नदी के पास जाकर तपस्या करने लग गए |
घोर तपस्या करने के बाद नंदी को भगवान शिव ने दर्शन दिए | भगवान शिव से उन्होंने वरदान माँगा की वे अनंतकाल तक उन्हें अपने साथ रखे | भगवान शिव नंदी का यह प्रेम देखकर भावुक हो गए और उसे अपने सीने से लगा लिया | इसके बाद उन्होंने नंदी के शरीर को बलवान बना दिया और उसे बैल का सर लगा दिया | इसके पश्चात् भगवान शिव उसे कैलाश पर्वत ले गए | जहाँ उन्होंने घोषणा कर दी की आज से नंदी सभी गणो में प्रमुख है और कैलाश पर्वत की सुरक्षा करने का जिम्मा उन्हें सौंपा जाता है | इसके बाद नंदी भगवान शिव के वाहन के साथ उनके परिवार के सदस्य भी बन गए | इसलिए जिस मंदिर में भगवान शिव माता पार्वती सहित विराजमान होते है वहाँ उनके साथ नंदी अवश्य होते है |