दुसरो के धन पर नजर
यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन के कर्मो को त्यागकर किसी दूसरे व्यक्ति के कर्मो द्वारा अर्जित किये गए धन की ओर नजर रखता है तो इस पाप को स्वयं महादेव भी क्षमा नहीं करते है | ऐसे पापियों के लिए स्वर्ग के दरवाजे बंद है इन्हे नर्क में जाने से कोई भी नहीं रोक सकता है |
पराई स्त्री पर नजर
किसी दूसरी स्त्री पर नजर रखना घोर पाप समझा जाता है | भगवान शिव ऐसे लोगो को स्वयं दण्डित करते है | त्रेतायुग में उन्होने हनुमान के रूप में अज्ञानी रावण की लंका जलाकर उसे दण्डित किया था | जो लोग दूसरे पुरुष की स्त्री पर नजर रखते है एक दिन उन्हें अपने धन से भी हाथ धोना पड़ता है |
पराये पुरुष पर नजर
यदि कोई महिला दूसरे पुरुष पर नजर रखती और उसे पाने की कोशिश करती है तो उसे माता पार्वती कभी भी क्षमा नहीं करती है | क्योंकि इस संसार की समस्त स्त्रियों में माँ पार्वती का अंश है | इसलिए यदि महिलाये अपने पति को छोड़कर दूसरे पुरुष का विचार भी मन में लाती है तो उसे स्वयं माँ पार्वती के कोप का सामना करना पड़ता है |
दुसरो को कष्ट देना
जो व्यक्ति दुसरो के धन को लुटाते है और निर्दोष व्यक्तियों को सताते है उन्हें भगवान क्षमा नहीं करते है | जो लोग ऐसा करने के बारे में सोचते भी है तो वे हमेशा के लिए भगवान शिव की नजरो में गिर जाते है और एक दिन भगवान शिव स्वयं उन्हें अपने हाथो से दंड देते है |
माता-पिता-गुरु को कष्ट देने वाला
स्वयं गुरु गोविन्द सिंह जी ने कहा है की माता-पिता और भगवान से भी पहले व्यक्ति को गुरु की सेवा करनी चाहिए | क्योंकि गुरु ही माता पिता का महत्त्व और ईश्वर प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते है | इसलिए जो लोग इनकी आज्ञा की अवेहलना करते है या उन्हें किसी प्रकार का कष्ट देते है तो उनका भगवान शिव सबकुछ छीन लेते है |
लक्ष्य से भटकने वाले
श्रीमद्भगवतगीता के अनुसार काम, क्रोध और अहंकार नर्क के तीन दरवाजे है | जो व्यक्ति काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार करते है भगवान शिव उन्हें कभी भी क्षमा नहीं करते है | क्योंकि ये चीजे मनुष्य को लक्ष्य से भटका देती है और ईश्वर ने मनुष्य को एक विशेष कर्म करने के लिए इस धरती पर भेजा है यदि वह व्यक्ति अपने लक्ष्य को हासिल नहीं करता है तो ईश्वर उसे दंड देते है |
सदा भोग में लिप्त रहने वाले
जो व्यक्ति अपने कर्म को छोड़कर सदा भोग में लिप्त रहते है उन्हें जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता है | इसलिए मनुष्य को सुख-दुःख में समान रहकर कर्म करने चाहिए | क्योंकि कर्म पाप और पुण्य से ऊपर है और मोक्ष का मार्ग है | इसलिए अपने कर्त्तव्य से मनुष्य को पीछे नहीं हटना चाहिए |