भगवान राम को भगवान विष्णु का 7वां अवतार कहा जाता है | जब वे वनवास में थे उसी दौरन राजा दशरथ का देहांत हो गया था | ये बात बहुत कम लोग जानते है की राजा दशरथ का पिंडदान भगवान राम ने नहीं बल्कि माँ सीता ने किया था | उस समय एक एक विशेष घटना घटित हुई थी | जिससे क्रोधित होकर माँ सीता ने गाय, नदी, पंडित और कौए को श्राप दे दिया था | आईये इस घटना को विस्तार से जानते है...
भगवान श्री विष्णु ने राक्षसों का अंत और संसार को मर्यादा की शिक्षा देने के लिए त्रेता युग में राजा दशरथ के घर माता कौशल्या के गर्भ से जन्म लिया था | भगवान विष्णु ने राम के अवतार में मात्र 16 वर्ष की आयु में मिथिलेश कुमारी जनक नंदिनी सीता से विवाह किया था | एक दिन समय ने ऐसी करवट बदली की भगवान राम को सीता सहित 14 वर्ष के लिए वनवास में जाना पड़ा | भगवान राम के वनवास गमन को राजा दशरथ सह नहीं सके और कुछ ही दिनों में पुत्र वियोग में स्वर्ग लोक चले गए | लेकिन हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पिता का पिंडदान बड़ा पुत्र ही करता है |
राम के छोटे भाई भरत भी ये चाहते थे की बड़े भैया राम ही पिता का पिंडदान करे | उस समय वे राम के पीछे-पीछे वनवास भी गए थे | जहाँ भगवान राम को फल्गु नदी में राजा दशरत का पिंडदान करना था | सभी भाई पिंडदान के लिए आवश्यक सामग्री लेने चले गए | लेकिन पिंडदान एक निश्चित समय पर ही होना चाहिए था | पिंडदान का शुभ मुहूर्त निकला जा रहा था | परिस्थितियों को भांपकर और अपना महत्त्व समझकर माता सीता ने फल्गु नदी में राजा दशरत का पिंडदान कर दिया |
जब भगवान राम वहां पहुँच तो माता सीता ने उन्हें स्वयं के द्वारा पिंडदान करने की बात बताई | लेकिन पिता के पिंडदान के बारे में भगवान राम कोई जोखिम नहीं लेना चाहते थे | उन्होंने माता सीता से इसका प्रमाण माँगा | माता सीता ने वहां उपस्थित पंडित, गाय, कौए और फल्गु नदी को साक्षी बताया | लेकिन इन सभी ने माता सीता द्वारा पिंडदान ना करने की बात कही | इस पर माता सीता को क्रोध आ गया और उन्होंने गाय, कौए, पंडित और फल्गु नदी को श्राप दे दिया |
पंडित
माँ सीता ने कहा हे पंडित ! तुम मेरे द्वारा किये गए पिंडदान के साक्षी हो, तुमने ही विधिपूर्वक ये पिंडदान करवाया है | लेकिन तुम अब असत्य कह रहे हो | इसलिए मैं तुम्हे श्राप देती हूँ की तुम्हे दुनिया से कितना भी मिले, लेकिन तुम्हारी दरिद्रता कभी भी दूर नहीं होगी | तुम्हे गरीबी से कभी छुटकारा नहीं मिलेगा |
फल्गु नदी
माँ सीता ने कहा की मैंने विधि पूर्वक अपने ससुर का पिंडदान किया है | लेकिन तुमने मेरे पति के सम्मुख असत्य कहने का साहस किया है इसलिए मैं तुम्हे श्राप देती हूँ की चाहे कितनी ही वर्षा क्यों ना हो, तुम्हारा जल कभी नहीं बहेगा |
कौआ और गाय
माँ सीता ने गाय और कौए को एक साथ सम्बोधित करते हुए कहा की तुमने मुझे अपने पति के समक्ष झूठा साबित किया है इसलिए मैं तुम्हे श्राप देती हूँ की गाय को निसंदेह देवो के समक्ष पूजा जाएगा | लेकिन तुम्हे सदैव झूठा भोजन ही दिया जाएगा | जबकि कौए को माँ सीता ने श्राप दिया की उसका अकेले खाने से कभी भी पेट नहीं भरेगा और वह सदैव आकस्मिक मौत ही मरेगा |
कौआ, पंडित, गाय और फल्गु नदी आज भी माँ सीता का श्राप भोग रही है | कौए की सदैव अकस्मात ही मृत्यु होती है | जबकि पंडित हमेशा दरिद्र बना रहता है | फल्गु नदी में कभी पानी का बहाव नहीं होता और आज गाय की पूजा तो की जाती है | लेकिन उसे झूठा भोजन ही दिया जाता है | आप इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय कमेंट के द्वारा हमे जरूर बताये | यदि आर्टिकल अच्छा लगा हो तो लाइक और शेयर करना ना भूले |