महाभारत के बारे में सब ने सुना है महाभारत में कई ऐसी घटनाये वर्णित है जिसे सुनकर आप सब हैरान रह जायेगे | महभारत में एक किस्सा है जिसमे लिखा गया है की पांडवों ने अपनी पत्नी द्रौपदी को लेकर एक खास नियम बनाया था | जिसका सभी को पालन करना आवश्यक था उक्त नियम का उलंघन करने पर सजा भी दी जाती थी |
महाभारत के अनुसार पांडवो की द्रौपदी से शादी होने के बाद एक दिन नारद मुनि पांडवों से मिलने आए | नारद जी ने पांडवों को एक घटना के बारे में बताया, नारद जी ने पांडवो से कहाँ कि प्राचीन समय में सुंद-उपसुंद नाम के दो राक्षस भाई थे जिन्होंने अपने पराक्रम से सभी देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली थी | लेकिन एक महिला के कारण दोनों भाइयो में लड़ाई हो गई, जिसके बाद दोनों भाइयो ने एक-दूसरे का वध कर दिया | इस प्रकार की स्थिति तुम भाइयो के साथ ना हो इसलिए कोई न कोई ऐसा नियम बनाओ जिससे तुम लोगो में हमेशा भाईचारा बना रहे | नारद मुनी की सलाह के बाद सभी पांडवों ने एक नियम बनाया कि द्रौपदी एक नियमित समय तक ही एक भाई के पास रहेगी |
जब एक भाई द्रौपदी के साथ एकांत में होगा तब कोई दूसरा भाई वहां नहीं जाएगा | यदि किसी ने भी इस नियम उलंघन्न किया तो उसे वनवास काटना पड़ेगा | कथा अनुसार एक बार युधिष्ठिर द्रौपदी के साथ एकांत में थे तभी अर्जुन के पास एक व्यक्ति काफी दुखी और रोता हुआ आया और अर्जुन से बोला कि ‘मेरी गाय डाकू ले गए हैं आप मेरी मदद कीजिए’ उस समय सारे अस्त्र-शस्त्र युधिष्ठिर के कक्ष में रखे हुए थे, जहां युधिष्ठिर द्रौपदी के साथ एकांत में थे | ऐसे में अर्जुन ने उस व्यक्ति की मदद करने के लिए कक्ष में प्रवेश कर लिया, इस घटना से नियम टूट गया और अर्जुन को वनवास जाना पड़ा |
एक बार सत्यभामा ने पांडव पत्नी द्रौपदी से पूछा कि आप सभी पांडवों को कैसे खुश रखती हैं इस पर द्रौपदी ने कहा कि ‘मैं अहंकार, काम, क्रोध को छोड़कर बड़ी सावधानीपूर्वक सभी पांडवों की सेवा करती हूं, पति के अभिप्राय को पूर्ण संकेत समझकर उसका नुसरण करती हूं इसीलिए मेरा मन पांडवों के सिवाय कहीं नहीं जाता है और उनके स्नान किए बिना मैं स्नान नहीं करती हूँ |
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