इस संसार में जब भी कोई आता है तो जैसे-जैसे वह बड़ा होता है उसके मन में सपने आने लगते है और वो उन सपनों को पूरा कैसे करे इसके बारे में सोचने लगता हैं | वह अपने भविष्य को लेकर कई तरह के सपने देखने लगता है, अगर सपनों की बात करें तो ज्यादातर लड़कियों का सपना शादी करके अपना घर बसानें का होता हैं | वे चाहती है कि उन्हें एक सुन्दर सा लड़का मिले और एक अच्छा परिवार मिले, ऐसा परिवार मिले जो उसके सपनों को पूरा कर सके और उसे जीवन की हर खुशी मिले |
शादी के बाद लड़कियों का ससुराल ही सब कुछ होता है, उन्हें अपने ससुराल हर खुशी मिले यही वो चाहती हैं | लड़कियां मन की चंचल होती है उन्हें सजना, संवरना ज्यादा अच्छा लगता है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताने जा रहे है जिसे सांसारिक मोह माया से कोई लगाव नहीं हैं | हम बात कर रहे है, हरियाणा के पानीपत में रहने वाली सिमरन की, सिमरन को सांसारिक मोह माया से कोई लगाव नहीं है और उसे वैरागी जीवन जीना ज्यादा पसंद हैं | सिमरन के पिता का सपना था कि उनकी बेटी अपना करियर खुद बनाए, वे अपनी बेटी को कुछ बनते हुए देखना चाहते थे |
सिमरन ने ग्रेजुएशन किया है उसके घर में 2 भाई-बहन और माता पिता है, सिमरन के पिता ने बहुत कोशिश की बेटी को अच्छी शिक्षा देकर उसकी शादी किसी अच्छे घराने के लड़के से करें | लेकिन सिमरन दीक्षा लेने का फैसला कर चुकी थी, सिमरन ने जैन भगवती महोत्सव में गौतम मुनि जी सिमरन का नाम बदलकर महासती श्री गौतमीजी नाम दिया | सिमरन की बग्गी पुरे शहर में घूमी थी, इसके बाद वह जगह-जगह घूमी उसने बताया कि उसे कहीं भी शांति नहीं मिली, लेकिन जब वे गुरुजनों की शरण में आई तो उन्हें एक अलग सा सुकून महसूस हुआ | जब दीक्षा की शादी की विधियां शुरु हुई तो सिमरन जोकि एक दुल्हन की तरह सजी हुई थी, जिसने अपने हाथों में मेहँदी भी रचाई और उनके घरवालों ने उनके लिए उनकी मनपसंद डिस बनाई और सभी ने साथ में मिलकर खाना भी खाया था |
जब अगले दिन वह दुल्हन की तरह सजसंवरकर आई, लेकिन इसके बाद सिमरन ने अपने सारे गहने उतर दिए और अपनी मां को दे दिए, इसके बाद सिमरन ने सबके सामने अपना सर मुंडवाया | सिमरन ने बताया कि, किसी भी व्यक्ति के वैरागी बनना इतना आसान नहीं है और वैराग्य का जीवन जीना इतना मुश्किल है कि इसके आपको बहुत संघर्ष करना पड़ता हैं | सिमरन ने कहा वे सुकून पाने के लिए देश भर में घूमी लेकिन उन्हें कहीं शांति नहीं मिली और इसके बाद जैसे ही वो गुरुजनों के समीप आई तो यहां आकर जाना कि आत्मा का परमात्मा से जुड़ना ही असली सुख हैं | सिमरन के पिता ने कहा कि, मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरी बेटी इतना बड़ा फैसला लेगी, सिमरन के इस फैसले ने हर किसी को हैरान कर दिया था, लेकिन वहीं सिमरन का कहना था कि इस संसार में हर कोई आपका इस्तेमाल करना चाहता हैं |