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सेहत के लिए लाभकारी होता है रुद्राक्ष का पानी, जानिए कैसे करें रुद्राक्ष की पहचान..

Jun 25 2019

Posted By:  AMIT

हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को पवित्र माना गया है | रुद्राक्ष का संबंध भगवान शिव से होने के कारण यह हमारी आस्था और विश्वास का प्रतीक भी है | रुद्राक्ष धारण करने से जहां भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सारे संकटों से रक्षा होती है | वहींअल्टरनेटिव थैरेपी में भी इन दिनों रुद्राक्ष थैरेपी बहुत लोकप्रिय हो रही है | कारण इसका तीव्र असरकारक होना | शरीर की ऐसी कोई बीमारी नहीं जिसका उपचार रुद्राक्ष के जरिए ना किया जा सके | रुद्राक्ष थैरेपी दो तरह से की जाती है, आंतरिक और बाह्य | बाह्य थैरपी के तहत रुद्राक्ष की माला, बेसलेट, पेंडेंट आदि पहनने की सलाह दी जाती है | जबकि आंतरिक थैरेपी में रुद्राक्ष को दूध में उबालकर पिलाया जाता है या रुद्राक्ष की भस्म का सेवन करवाया जाता है | जानिए इसके बारे में-


रुद्राक्ष का महत्त्व
रुद्राक्ष की खासियत यह है कि इसमें एक अनोखे तरह का स्पदंन होता है | जो आपके लिए आप की ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बना देता है, जिससे बाहरी ऊर्जाएं आपको परेशान नहीं कर पातीं | इसीलिए रुद्राक्ष ऐसे लोगों के लिए बेहद अच्छा है जिन्हें लगातार यात्रा में होने की वजह से अलग-अलग जगहों पर रहना पड़ता है | आपने कभी गौर किया होगा कि जब आप कहीं बाहर जाते हैं | तो कुछ जगहों पर तो आपको फौरन नींद आ जाती है, लेकिन कुछ जगहों पर बेहद थके होने के बावजूद आप सो नहीं पाते |


रुद्राक्ष के फायदे
रुद्राक्ष के संबंध में एक और बात महत्वपूर्ण है | खुले में या जंगलों में रहने वाले साधु-संन्यासी अनजाने सोत्र का पानी नहीं पीते, क्योंकि अक्सर किसी जहरीली गैस या और किसी वजह से वह पानी जहरीला भी हो सकता है | रुद्राक्ष की मदद से यह जाना जा सकता है कि वह पानी पीने लायक है या नहीं | रुद्राक्ष को पानी के ऊपर पकड़ कर रखने से अगर वह खुद-ब-खुद घड़ी की दिशा में घूमने लगे, तो इसका मतलब है कि वह पानी पीने लायक है | अगर पानी जहरीला या हानि पहुंचाने वाला होगा तो रुद्राक्ष घड़ी की दिशा से उलटा घूमेगा | वैदिककाल में सिर्फ एक ही भगवान को पूजा जाता था - रुद्र यानी शिव को | समय के साथ-साथ वैष्णव भी आए | अब इन दोनों में द्वेष भाव इतना बढ़ा कि वैष्णव लोग शिव को पूजने वालों, खासकर संन्यासियों को अपने घर बुलाते और उन्हें जहरीला भोजन परोस देते थे | ऐसे में संन्यासियों ने खुद को बचाने का एक अनोखा तरीका अपनाया | काफी शिव भक्त आज भी इसी परंपरा का पालन करते हैं | अगर आप उन्हें भोजन देंगे, तो वे उस भोजन को आपके घर पर नहीं खाएंगे, बल्कि वे उसे किसी और जगह ले जाकर, पहले उसके ऊपर रुद्राक्ष रखकर यह जांचेंगे कि भोजन खाने लायक है या नहीं |


रुद्राक्ष माला एक कवच की तरह है
रुद्राक्ष नकारात्मक ऊर्जा के बचने के एक असरदार कवच की तरह काम करता है | कुछ लोग नकारात्मक शक्ति का इस्तेमाल करके दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं | यह अपने आप में एक अलग विज्ञान है, अथर्व वेद में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है कि कैसे ऊर्जा को अपने फायदे और दूसरों के अहित के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है | अगर कोई इंसान इस विद्या में महारत हासिल कर ले, तो वह अपनी शक्ति के प्रयोग से दूसरों को किसी भी हद तक नुकसान पहुंचा सकता है | यहां तक कि दूसरे की मृत्यु भी हो सकती है | इन सभी स्थितियों में रुद्राक्ष कवच की तरह कारगर हो सकता है |




पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे सुरक्षित विकल्प है जो हर किसी - स्त्री, पुरुष, बच्चे, हर किसी के लिए अच्छा माना जाता है | यह सेहत और सुख की दृष्टि से भी फायदेमंद हैं, जिससे रक्तचाप नीचे आता है और स्नायु तंत्र तनाव मुक्त और शांत होता है | ऐसे में, उसके बगल में बैठे होने की वहज से, उस शक्ति का नकारात्मक असर आप पर भी हो सकता है | हालांकि इस सबसे डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन रुद्राक्ष ऐसी किसी भी परिस्थिति से आपकी रक्षा करता है |


गुरु एक ही रुद्राक्ष को अलग-अलग लोगों के लिए अलग-तरह से जागृत करता है | परिवार में रहने वाले लोगों के लिए रुद्राक्ष अलग तरह से प्रतिष्ठित किए जाते हैं | अगर आप ब्रह्मचारी या संन्यासी हैं, तो आपके रुद्राक्ष को दूसरे तरीके से ऊर्जित किया जाएगा | ऐसा रुद्राक्ष सांसारिक जीवन जी रहे लोगों को नहीं पहनना चाहिए | रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर 21-मुखी तक होते हैं, जिन्हें अलग-अलग प्रयोजन के लिए पहना जाता है | इसलिए बस किसी भी दुकान से कोई भी रुद्राक्ष खरीदकर पहन लेना उचित नहीं होता |

 

रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें
रुद्राक्ष हमेशा उन्हीं लोगों से संबंधित रहा है, जिन्होंने इसे अपने पावन कर्तव्य के तौर पर अपनाया | परंपरागत तौर पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी वे सिर्फ रुद्राक्ष का ही काम करते रहे थे | हालांकि यह उनके रोजी रोटी का साधन भी रहा, लेकिन मूल रूप से यह उनके लिए परमार्थ का काम ही था | जैसे-जैसे रुद्राक्ष की मांग बढ़ने लगी, इसने व्यवसाय का रूप ले लिया | आज, भारत में एक और बीज मिलता है, जिसे भद्राक्ष कहते हैं और जो जहरीला होता है | भद्राक्ष का पेड़ उत्तर प्रदेश, बिहार और आसपास के क्षत्रों में बहुतायत में होता है | पहली नजर में यह बिलकुल रुद्राक्ष की तरह दिखता है | लेकिन जब आप रुद्राक्ष धारण करते हैं, तो यह आपके प्रभामंडल (औरा) की शुद्धि करता है | देखकर आप दोनों में अंतर बता नहीं सकते | अगर आप संवेदनशील हैं, तो अपनी हथेलियों में लेने पर आपको दोनों में अंतर खुद पता चल जाएगा | चूंकि यह बीज जहरीला होता है, इसलिए इसे शरीर पर धारण नहीं करना चाहिए | इसके बावजूद बहुत सी जगहों पर इसे रुद्राक्ष बताकर बेचा जा रहा है | इसलिए यह बेहद जरूरी है कि जब भी आपको रुद्राक्ष लेना हो, आप इसे किसी भरोसेमंद जगह से ही लें |


जब आप रुद्राक्ष धारण करते हैं, तो यह आपके प्रभामंडल (औरा) की शुद्धि करता है | इस प्रभामंडल का रंग बिलकुल सफेद से लेकर बिलकुल काले और इन दोनों के बीच पाए जाने वाले अनगिनत रंगों में से कुछ भी हो सकता है | इसका यह मतलब कतई नहीं हुआ कि आज आपने रुद्राक्ष की माला पहनी और कल ही आपका प्रभामंडल सफेद दिखने लगे! अगर आप अपने जीवन को शुद्ध करना चाहते हैं तो रुद्राक्ष उसमें मददगार हो सकता है | जब कोई इंसान अध्यात्म के मार्ग पर चलता है, तो अपने लक्ष्य को पाने के लिए वह हर संभव उपाय अपनाने को आतुर रहता है | ऐसे में रुद्राक्ष निश्चित तौर पर एक बेहद मददगार जरिया साबित हो सकता है |
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