आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है | इस एकादशी का पाप के प्रायश्चित के लिए विशेष महत्व बताया गया है | इस दिन श्री हरि के ध्यान भजन और कीर्तन से पापों से मुक्ति मिलती है | कहा जाता है कि अगर इस दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु का ध्यान किया जाए तो मनुष्य को उसके हर पाप से मुक्ति मिल जाती है | आज योगिनी एकादशी 29 जून को है |
योगिनी एकादशी पूजा विधि
शास्त्रों के अनुसार एकादशी शुरु होने के एक दिन पहले से ही इसके नियमों का पालन करना पड़ता है | इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें | फिर स्वच्छ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें | घी का दीपक अवश्य जलाए | जाने-अनजाने में आपसे जो भी पाप हुए है उनसे मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें | इस दौरान ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप निरंतर करते रहें | एकादशी की रात्रि प्रभु भक्ति में जागरण करे, उनके भजन गाएं | साथ ही भगवान विष्णु की कथाओं का पाठ करें | द्वादशी के दिन उपयुक्त समय पर कथा सुनने के बाद व्रत खोलें |
योगिनी एकादशी व्रत कथा
पुराणों में एक कथा है, जिसमें हेममाली नाम का एक माली था | जो काम भाव में लीन होकर ऐसी गलती कर बैठा कि उसे राजा कुबेर का श्राप मिला, जिससे उसे कुष्ठ रोग हो गया | तब एक ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा, मुनि के आदेश का पालन करते हुए हेममाली नें योगिनी एकादशी का व्रत किया | इस व्रत के प्रभाव से वह पूरी तरह से रोगमुक्त हो गया और उसे शाप से मुक्ति मिल गई | तभी से इस एकादशी का इतना महत्व है |
अच्छे स्वास्थ्य और मानसिक समस्याओं से मुक्ति के लिए क्या करें
1. एकादशी का उपवास रखें |
2. दिन भर और रात भर केवल जलीय आहार ग्रहण करें |
3. जितना संभव हो शिव जी की उपासना करें |
4. कम से कम बोलें और क्रोध न करें |
पाप के प्रायश्चित के लिए क्या करें
1. एकादशी का उपवास रखें |
2. सुबह-शाम श्री हरि की उपासना करें |
3. गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करना सर्वोत्तम होगा |
4. इसके अलावा भगवद्गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करने से भी लाभ मिलता है |
5. इस दिन पीपल का पौधा लगाएं और निर्धनों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें |