हिन्दू धर्म में ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार शनिदेव के अनेकों नाम है जैसे की मंदगामी , सूर्य पुत्र , शनिश्चर तथा छायापुत्र आदि | इन्हें कर्मफल दाता भी कहा जाता है | ऐसी मान्यता है कि शनिदेव मनुष्यों के उनके अच्छे बुरे कर्मों के अनुसार उन्हें फल देते हैं | इन्हें नौ ग्रहों में न्यायाधीश के नाम से जाना जाता है | ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक शनिदेव का जन्म सूर्य भगवान की पत्नी छाया के गर्भ से हुआ था | जब ये अपनी माता छाया के गर्भ में थे तो उन दिनों इनकी मां भगवान शंकर कि भक्ति में दिन रात लिन रहा करती थीं | वो भगवान शंकर की भक्ति में इतनी ध्यान मग्न रहती थीं कि इन्हें अपने खाने पीने की भी सुध नहीं रहती थी |
इसी कारण से शनिदेव का रंग श्याम रंग का हो गया | बता दें कि शनि देव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं | ऐसा माना जाता है कि शनिदेव से कुछ भी छुप नहीं सकता वे हर मनुष्य को उसके किए गए कर्मों का फल अवश्य ही देते हैं | नौ ग्रहों में उन्हें है न्यायाधीश क्यों कहा जाता है, इस बात की जानकारी शायद ही किसी को हो तो चलिए आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताते हैं कि शनिदेव को न्यायाधीश के नाम से क्यों जाना जाता है |
हिन्दू धर्म शास्त्रों में शनिदेव को कर्म प्रधान माना जाता है | बता दें कि शनिदेव की बहन यमुना और इनके भाई यमराज हैं | ऐसी मान्यता है कि शनिदेव उनलोगों पर ज्यादा पसंद रहते है जो मेहनत करते है, अनुशासन में रहते है, धर्म का पालन करते है तथा सभी का सम्मान करते हैं | शास्त्रों में इन्हें क्रूर ग्रह माना जाता है | इनके पिता सूर्य देव ने इनकी उद्दंडता देख कर भगवान शंकर से आग्रह किया कि वे उन्हें समझाएं | लेकिन भगवान शंकर के समझाने के बावजूद भी शनिदेव नहीं माने |
उनकी उद्दंडता और मनमानी देख कर भगवान शंकर ने उन्हें दंडित किया, भगवान शंकर के प्रहार से शनिदेव अचेत हो गए | ये सब देख कर सूर्य देव पुत्र मोह के कारण भगवान शंकर से शनिदेव के जीवन की प्रार्थना की तथा उनसे आग्रह किया कि वे शनिदेव को अपना शिष्य बना लें | तब शंकर जी ने उन्हें शिष्य बना कर दंडाधिकारी के रूप में नियुक्त कर लिया | तभी से शनिदेव न्यायाधीश की तरह जीवों को दण्ड दे कर भगवान शंकर की सहायता करते हैं |
शनिदेव को कैसे करें प्रसन्न
1. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन तेल दान करना चाहिए | शास्त्रों के अनुसार शनिदेव को तेल चढ़ाते वक्त काफी सावधानी बरतनी चाहिए, ध्यान रहे तेल इधर उधर ना गिरे |
2 .प्रत्येक शनिवार को शनिदेव कि पूजा के साथ साथ पीपल वृक्ष की भी पूजा करने का विधान है |
3 . शनिदेव की कृपा पाने के लिए काले तिल का भी दान करना चाहिए |
4 . इसके अतिरिक्त चमड़े के जूत्ते तथा चप्पल का भी दान करना चाहिए |
5. पीपल के वृक्ष पर सात प्रकार के अनाज चढ़ाकर बांट दें | शनि अमावस्या पर पीपल के वृक्ष के नीचे सरसो के तेल के नौ दीपक जलाएं | शनैश्चरी अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए |