आपने कभी न कभी नागा साधुओ को साक्षात या टी.वी पर देखा तो होगा | कुम्भ के मेले मैं हज़ारो की संख्या मैं नागा साधु देखे जा सकते है | नागा साधु हमेशा अपने शरीर पर कपडे नहीं पहनते है और शरीर के ऊपर राख लगा के रखते है | नागा साधुओ का ये अजीबो गरीब रहने का तरीका सबको हैरान करने वाला होता है और सबके मन मैं ये ख्याल भी आता है की नागा साधु ऐसे क्यों होते है | वो कभी भी कपडे क्यों नहीं पहनते है और शरीर पर हमेशा राख लगा के क्यों रहते है | आईये जानते है इन सबके बारे मैं...
नागा शब्द का अर्थ :-
नागा शब्द का अर्थ ही नंगा होता है | नागा साधु हमेशा नग्न अवस्था मैं रहते है | ये भगवान की भक्ति मैं इतने खो जाते है कि इन्हे अपने शरीर को ढकने के लिए कपड़ो कि कोई आवश्यकता नहीं होती है और अपने शरीर पर राख लगा कर रखते है |
परिवार :-
नागा साधुओ का कोई घर, परिवार नहीं होता है ये तो अपने समुदाय को ही अपना परिवार मानते है और उनके साथ ही भगवान कि भक्ति मैं अपना जीवन गुजार देते है | इन्हे घर, परिवार से कोई मतलब नहीं होता है |
रहने का स्थान :-
नागा साधु अपने समुदाय के साथ कुटिया बना कर साधा जीवन जीते है | इनका कोई अपना निश्चित घर नहीं होता है |
क्या खाना खाते है :-
नागा साधु तीर्थयात्रियों द्वारा दिया जाने वाला भोजन ही खाते है | इनका कोई दैनिक भोजन करने का कोई महत्त्व नहीं होता है | ये सिर्फ अपने भगवान कि भक्ति मैं लीं रहते है और तीर्थयात्रियों द्वारा दिया गया भोजन ही ग्रहण करते है |
कपडे न पहनने का कारण :-
नागा साधुओ का मानना है कि कपडे तन ढकने का कार्य करते है | जिन्हे अपने शरीर कि सुरक्षा करनी होती है वो लोग ही कपडे पहनते है और हमारे लिए सुरक्षा का कोई महत्त्व नहीं है |