श्रीमद भगवत गीता मैं भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को सम्बोधित करते हुए कहते है | हे पार्थ ये मनुष्य शरीर नश्वर है अमर तो सिर्फ आत्मा है | जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु एक दिन निश्चित होगी | जब मनुष्य मर जाता है तो मरने के बाद मनुष्य की शवयात्रा निकाली जाती है | शवयात्रा के सम्बन्ध मैं हिन्दू धर्म मैं कई मान्यताये प्रचलित है इन मान्यताओं के अनुसार शवयात्रा के दौरान मनुष्य को चार काम कर लेने चाहिए | इन चार कामो को करने से मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है |
पहला काम :-
अगर कोई मनुष्य किसी की शवयात्रा मैं शामिल होता है या फिर शव को कन्धा देता है | तो उसे पुण्य की प्राप्ति होती है | शवयात्रा के दौरान दिए गए कंधे के पुण्य से उसके पिछले पाप नष्ट हो जाते है | इसी मान्यता के अनुसार व्यक्ति शवयात्रा मैं शामिल होकर शव को कन्धा जरूर देता है |
दूसरा काम :-
अगर हम कही जा रहे है और वहा से शवयात्रा निकलती दिखे तो हमें रुक जाना चाहिए और उस शवयात्रा को निकलने देना चाहिए | हाथ जोड़कर भगवान से उसकी आत्मा शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए | ऐसा करने से आपको पुण्य की प्राप्ति होती है |
तीसरा काम :-
जब किसी की शवयात्रा निकलती दिखे तो हमें राम नाम का जाप करना चाहिए | रामचरितमानस के अनुसार राम नाम का जाप करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते है और भगवान शिव की कृपा हम पर बनी रहेगी | शिवपुराण मैं बताया गया है की आत्मा परमाता होती है यानी वो परमात्मा( शिवशंकर ) मैं ही विलीन हो जाती है | इसीलिए जब भी शवयात्रा दिखे तो राम नाम का जाप करना चाहिए |
चौथा काम :-
जब भी कोई शवयात्रा दिखे तो हमें शांतिपूर्वक मौन खड़े रहना चाहिए शोर नहीं करना चाहिए | अगर आप कार या बाइक पर हो तो कभी भी हॉर्न नहीं बजाना चाहिए | पहले उस शवयात्रा को निकलने देना चाहिए |