नागा साधुओ का जीवन बहुत ही रहस्मय होता है ये अपनी पूरी जिंदगी भगवान की सेवा मैं निकाल देते है और कभी भी अपने शरीर पर वस्त्र धारण नहीं करते है चाहे शर्दी हो, गर्मी हो या बरसात का मौसम हो हमेशा हर ऋतु मैं नग्न अवस्था मैं ही रहते है और हमेशा शरीर पर रख लगा के रखते है |
लोग हमेशा नागा साधुओ के बारे मैं जानने के लिए उत्साहित रहते है | नागा साधु कहा से आते है और कहा जाते है किसी को कुछ भी पता नहीं रहता है | नागा साधुओ की जिंदगी आम लोगो से बिलकुल अलग रहती है उनका खान पान, रहन सहन सब एक विचित्र सा रहता है |
हार बार कुम्भ के मेले मैं नागा साधु हज़ारो की संख्या मैं आते है | आज हम नागा साधुओ के एक ऐसे राज़ से पर्दा उठाने जा रहा रहे है जिसे जानकार आप हैरान रह जाओगे |
जब नागा साधुओ की मृत्यु होती है तो उनके शरीर को अंतिम विदाई कैसे देते है किया उनके शरीर को आम लोगो की तरह ही जला दिया जाता है, जी नहीं नागा साधुओ के शरीर को जलाया नहीं जाता है उनको भू समाधि दी जाती है |
पहले नागा साधुओ को जल समाधी दी जाती थी मगर नदियों मैं जल प्रदूषण बढ़ने के कारण अब उन्हें भू समाधि दी जाती है | नागा साधुओ के शव को योग मुद्रा मैं बिठा कर भू समाधि दी जाती है | समाधि देने के लिए भूमि को खोदा जाता है और फिर उसके अंदर बैठने लायक जगह बनाई जाती है जगह बनाने के बाद नागा साधु को योग मुद्रा मैं बिठा कर उनकी पूजा कर उनको अंतिम विदाई दी जाती है |