हिंदू धर्म में गर्भवती स्त्री की सातवें महीने में गोद भराई की रस्म की जाती है | उसके बाद डिलेवरी के लिए उसे अपने मायके भेज दिया जाता है | कभी आपने सोचा है कि गोद भराई की रस्म क्यों कि जाती है? दरअसल गोद भराई की पूरी रस्म होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए की जाती है |
गोद भराई के समय विशेष पूजा से गर्भ के दोषों का निवारण तो किया ही जाता है साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य के लिए यह पूरी प्रक्रिया की जाती है | गोद भराई के रस्म में उसे बढ़े-बूढ़ो का आर्शीवाद तो मिलता ही है | साथ ही इस रस्म में गर्भवती स्त्री की गोद फल और सुखे मेवे से भरी जाती है | फल और सूखे मेवे पौष्टिक होते हैं, गर्भवती महिला को ये फल और मेवे इसीलिए दिए जाते हैं कि वो इन्हें खाए, जिससे गर्भ में बच्चे की सेहत अच्छी रहेगी |
फल और सूखे मेवों से शरीर में शक्ति तो आती ही है साथ ही इनके तेलीय गुणों के कारण इसमें चिकनाई भी आ जाती है | जिससे प्रसव के समय महिला को कम से पीड़ा होती है और शिशु भी स्वस्थ्य रहता है | दूसरा कारण यह है कि इस रस्म के बाद गर्भवती स्त्री को उसके मायके भेज दिया जाता है ताकि वह अपने शरीर को पूरा आराम दे पाए और जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ्य रहे |
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