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शाम के समय पूजा पाठ में कभी ना करे यह गलती, कभी नहीं मिल पाता है फल, जानिए
Aug 12 2019
हमारे हिन्दू धर्म में भगवान के पूजा पाठ का विशेष महत्व है, हमारे यहां मंदिरो में और घरो में सुबह भगवान की पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन कई बार कुछ लोग अपनी व्यस्तता के कारण सुबह भगवान का पूजन नहीं कर पते है और ऐसे में वो शाम के समय पूजन करते है, हमारे शास्त्रों में भगवान के पूजन को लेकर बताया गया है की सूर्यास्त के बाद कभी भी पूजा पाठ नहीं करना चाहिए, क्योंकि सूर्यास्त के बाद शाम के समय आसुरी शक्तिया सक्रिय हो जाती है, और ऐसे में उन शक्तियों के प्रभाव को खत्म करने के लिए पूजा पाठ नहीं करना चाहिए, कई लोग ऐसे होते है जिन्हे पूजा पाठ से जुडी बहुत सी बातो का ज्ञान नहीं होता है जिस कारण वे भगवान की आराधना तो करते है लेकिन उन्हें उस आराधना का फल प्राप्त नहीं हो पाता है, इसीलिए आज हम आपके लिए पूजा पाठ से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बाते लेकर आये है जिनका आप अवश्य ध्यान रखे |
- घर के मंदिर में एक ही देवता की एक से अधिक मूर्ति या तस्वीर नहीं रखनी चाहिए, और यदि पूजाघर में शिवलिंग रखना चाहते है तो अँगूठे के आकार से बड़ा शिवलिंग ना रखे |
- भगवान के मंदिर या फिर भगवान की तस्वीर की स्थापना हमेशा पश्चिम दिशा की दीवार पर ही करनी चाहिए, इसे बहुत ही फलदायी माना गया है |
- एक बात का हमेशा ध्यान रखे की जब भी भगवान की पूजा करे तो साथ में घंटी का या शंख का इस्तेमाल भी जरूर करे, शंख और घंटी की ध्वनि से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है |
- वर्ष में एक बार पुरे घर में गौमूत्र का छिड़काव जरूर करे, गौमूत्र में अलौलिक शक्तियाँ होती है जो नकारात्मक शक्तियों का नाश करती है |
- प्रत्येक शाम को तुलसी माता के पौधे और माँ लक्ष्मी के सामने एक दीपक अवश्य जलाये |
- जीवन में कभी भी भूलकर भी मंगलवार, शुक्रवार, अमावस्या, पूर्णिमा और द्वादशी के दिन तुलसी के पत्ते ना तोड़े, और ना ही कभी शाम को पत्ते तोड़े, ऐसा करना आपका दुर्भाग्य ला सकता है |
- पुराणों के अनुसार शाम के समय सूर्यास्त के बाद सभी देवी देवता सोने चले जाते है, वे विश्राम की अवश्था में होते है, इसीलिए सूर्यस्त के बाद उनके पूजन में कभी भी शंख नहीं बजाना चाहिए |
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