भारतीय संस्कृति मैं शादी मैं होने वाली रीति रिवाजो को बहुत ही ज्यादा मान्यता दी जाती है ख़ास कर हिन्दू धर्म मैं, शादी मैं होने वाली लगभग हर रस्म का अपना अलग महत्त्व होता है इसीलिए ये रस्मे निभाई जाती है फिर चाहे हल्दी की रस्म हो, फैरो की रस्म हो या विदाई के समय की रस्म हो हर रस्म बहुत ही ख़ास होती है और प्रत्येक रस्म का अपना एक अलग महत्त्व होता है | आज हम आपको एक ऐसी ही रस्म के बारे मैं बताने जा रहे है जो बेहद ख़ास होती है जब दुल्हन की बिदाई होती है तो वो अपने सर के ऊपर से पीछे की और चावल फेंकती है आईये जानते है दुल्हन ऐसा क्यों करती है और जानते है इस रस्म के बारें मैं...
" विदाई " का मतलब होता है कि लड़की अपने अपने माँ बाप का घर छोड़ कर हमेशा के लिए अपने पति के घर जाना होता है विदाई के बाद माता पिता का घर लड़की के लिए पराया हो जाता है लेकिन जाते समय विदाई कि रस्म निभाई जाती है कि दुल्हन कुछ चावल अपने सर के ऊपर से घर कि तरफ फेंकती है और उस चावल को माता और पिता अपने आंचल मैं झेलते है और इसके बाद लड़की घर कि तरफ मुड़ कर नहीं देखती है और सीधे गाड़ी मैं जाकर बैठ जाती है |
अब सभी के मन मैं ये सवाल तो जरूर आता होगा कि लड़किया से ऐसा क्यों करवाया जाता है? हिन्दू धर्म मैं लड़कियों को माँ लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि लड़की के मायके मैं लड़की कि वजह से ही बरकत बनी रहती है जब लड़की विदाई के समय जाती है तो चावल जो कि एक प्रतीक का काम करते है उनको माता पिता के घर छोड़ती है ताकि उसके जाने के बाद भी उसके मायके मैं माता लक्ष्मी कि कृपा बनी रहे और किसी भी चीज कि कमी न हो |
इस रस्म का एक मतलब ये भी होता है कि लड़की माता पिता को चावल फेंक कर धन्यवाद देती है क्योंकि बचपन से अभी तक माता पिता ने उसे इतनी अच्छी परवरिश जो दी है और एक मतलब ये भी होता है कि लड़की जाने से पहले अपने ऊपर से सभी नकारात्मक शक्तियों को झाड़ देती है क्योंकि लड़की अपने नए जीवन कि शुरुआत करने जा रही है और ऐसा करने से लड़की को अपने वैवाहिक जीवन मैं दिक्कत नहीं आती है |