रामायण में भगवान श्री राम से जुड़े हर पहलु, हर चीज का वर्णन है, भगवान राम से जुडी कई कथाये प्रचलित है जिसमे राम जी के अनेक राक्षसों के वध करने और उनको मोक्ष देने का वर्णन है, इन्ही सभी कथाओ में से एक कथा जो की बहुत प्रचलित है और वह है भगवान श्री राम द्वारा बाली का वध, भगवान श्री राम से जुडी इस कथा के अनुसार जब भगवान श्री राम ने बाली का वध किया था तब उन्हें एक अप्सरा ने श्राप दिया था जिस कारण माता सीता भगवान श्री राम से दूर हो गयी थी |
बाली और श्री राम की कथा
रामायण के अनुसार बाली भगवन इंद्र के पुत्र थे और सुग्रीव भगवान सूर्य के पुत्र थे और इन दोनों भाइयो में बहुत ही दूरियां पैदा हो गयी थी, जिस कारण इनकी दुश्मनी बहुत ही बढ़ गयी थी, और इसी दुश्मनी के चलते बाली ने सुग्रीव से उसका राज्य और पत्नी सब कुछ छीन लिया जिस कारण सुग्रीव जंगल में रहने को विवश होना पड़ा, और भगवान श्री राम जब माता सीता को ढूंढते हुए सुग्रीव के पास पहुंचे, श्री राम से मुलाकात के समय सुग्रीव ने भगवान श्री राम को अपनी व्यथा बताई और फिर उस समय भगवान श्री राम ने सुग्रीव को उनका राज्य और पत्नी वापस दिलाने का वचन दिया |
सुग्रीव ने भगवान श्री राम को अपने भाई बाली के बारे में बताया की उसे हराना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि बाली को एक वरदान प्राप्त है जिसके अनुसार वह जिससे भी लड़ेगा उसकी आधी शक्ति बाली के पास आ जाएगी जिससे उसे हराना नामुमकिन होगा, ऐसे में भगवान श्री राम ने निर्णय लिया की वह सामने जाकर बाली से युद्ध नहीं करेंगे, बल्कि जब सुग्रीव बाली से युद्ध कर रहा होगा तब वह बाली पर पीछे से वार करेंगे, और हुआ भी ऐसा ही जब बाली सुग्रीव से लड़ाई कर रहा था तब श्री राम ने पीछे से तीर चलाकर बाली का वध किया था |
भगवान श्री राम को मिला श्राप
बाली के वध की खबर जब बाली की पत्नी तारा को मिली जो की एक अप्सरा भी थी, तब वह बहुत ही दुखी हुयी परन्तु जब उसे यह पता चला की किस तरह श्री राम ने उसके पति का वध किया है तो वह श्री राम पर बहुत क्रोधित हुई और उसने श्री राम को श्राप दे दिया जिसके अनुसार सीता को पा लेने के बाद भी श्री राम को सीता से बिछड़ना पड़ेगा और अगले जन्म में उनका वध भी बाली के हाथो ही होगा | तारा द्वारा दिया गया ये श्राप खाली नहीं गया और ये सच साबित हुआ, इसी कारण सीता को रावण की कैद से छुड़ा लेने के बाद भी श्री राम को माता सीता से दूर रहना पड़ा और अगले जन्म में जब वे श्री कृष्ण के रूप में अवतरीत हुए तब उनकी मृत्यु एक शिकारी जरा जो की बाली का रूप था द्वारा पाँव में जहरीला तीर लगने से हुयी |