आपने फिल्मों में या असल जिंदगी में बीच या स्विमिंग पूल पर लड़कियों को बिकिनी पहने हुए देखा ही होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस बिकिनी पहनने की शुरुआत कब और कैसे हुई ?
आपको बता दें कि इस छोटे से कॉस्ट्यूम को बनाने के पीछे ढेर सारा फैशन कल्चर और जेंडर पॉलिटिक्स है | भारत के साथ-साथ दुनियाभर के देशों ने महिलाओं को टू-पीस पहनने की इजाजत देने में काफी समय लिया |
बिकिनी पहनने की शुरुआत को लेकर सभी अलग-अलग कहानियां बयां करते हैं | कुछ लोग कहते हैं कि टू-पीस अमेरिकन गार्मेंट डिजाइनर कार्ल जैंटजेनिन द्वारा 20वीं सदी की शुरुआत में पेश किया गया था | लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि ओलंपिक्स में महिलाओं के हिस्सा लेने के बाद से ही स्विम सूट की शुरुआत हुई |
जो बिकिनी आज प्रचलित है उसकी शुरुआत एक मॉडल ने की थी, जो कि एक न्यू*ड डांसर भी थी | वो पहली महिला थी जिसने बिकिनी पहनने की हिम्मत दिखाई थी | हालांकि, इस पर बहुत विवाद भी हुआ था, लेकिन इसके बाद हर औरत इसे अपने बीचवेयर किट में चाहती थी |
एक्ट्रेस उरसुला एंड्रेस के बॉन्ड फिल्म डॉ नं 1. में पानी से टू पीस में निकलते हुए देखा तो इस ड्रेस को और ज्यादा शोहरत मिल गई | ये बिकिनी सेक्शलाइज़ करनेी की पहली कोशिश थी, जिसे सिनेमा के इतिहास में एक बड़े मोमेंट के रूप में देखा जाता है |
समय-समय पर इसमें कुछ बदलाव होते रहे | हाइ वेस्टेड बॉटम्स की जगह अब लो वेस्टलाइंस ने ले ली थी | अब बिकिनी कई कलर और प्रिंट्स में अवेलेबल थी |
बात बॉलीवुड की करे तो जीनत अमान और परवीन बॉबी जैसी खूबसूरत अदाकाराओं ने भी इसे सिल्वर स्क्रीन पर पहना था | वहीं 1990 में इसके फॉर्म्स, शेप और सिलहोट्स के साथ काफी बदलाव किए गए | इस दौर में उर्मिला मातोंडकर और पूजा भट्ट जैसी अभिनेत्रियों ने बिकिनी पहनकर भारतीय दर्शकों के दिल में आग लगा दी थी |
अब बिकिनी पहनना आम हो गया है | बात एक्ट्रेसेस की हो या फिर आम लड़कियों की, हर कोई आराम से बिकिनी पहन सकता है | दिग्गज डिजाइनर्स भी अब बिकिनी डिजाइन करने लगे हैं |