हिन्दू धर्म मैं हज़ारो देवता ऐसे है जिन्होंने किसी न किसी कारण स्त्री अवतार लिया था भगवान श्री कृष्ण ने भी कई बार स्त्री का अवतार लिया था | आज हम श्री गणेश जी की बात कर रहे है | क्या आप जानते है श्री गणेश जी ने स्त्री अवतार क्यों लिया था | इस अवतार लेने से जुडी आज हम आपको ऐसी बात बताएँगे जिसे जानकार आप दंग रह जायेंगे तो चलिए जानते है श्री गणेश जी के स्त्री अवतार के बारें मैं...
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार एक अंधक नामक राक्षस माता पार्वती को अपनी पत्नी बनाने की इच्छा से आया और माता पार्वती को अपनी पत्नी बनाने के लिए परेशान करने लगा लेकिन माता पार्वती ने अपनी मदद के लिए भगवान शिव को पुकारा और भगवान शिव ने अपने त्रिसूल को उस राक्षस के अंदर घुसा दिया लेकिन वो राक्षस मरा नहीं बल्कि त्रिसूल लगने के कारण उसके जो खून निकला उसकी एक एक बून्द राक्षसी अंधका मैं बदलती चले जा रही थी और भगवान शिव को लगा की यदि इस राक्षस को मारना है तो उसके खून की प्रत्येक बून्द को जमीन पर गिरने से रोकना होगा | माता पार्वती जी को एक बात को समझ मैं आ गयी की हर दैवीय शक्ति के दो तत्व होते है |
पहला पुरुष तत्व होता है जो उसे मानसिक रूप से सक्षम बनता है और दूसरा स्त्री तत्व होता है जो उसे शक्ति प्रदान करता है | इसलिए माता पार्वती ने उस सभी देवियो को बुलाया जो शक्ति का ही रूप है ऐसा करने से हर दैवीय शक्ति के स्त्री रूप आ गए और उस राक्षस की प्रत्येक बून्द को अपने अंदर समाहित कर लिया और उसके बाद अंधका का उत्पन्न होना कम हो गया |
लेकिन इस सबसे भी अंधक को खत्म करना संभव नहीं हो पा रहा था तव श्री गणेश जी स्त्री रूप मैं "विनायकी" बनकर प्रकट हुए और और उस राक्षस का सारा खून खुद पी गए | ये रुप 16 वी सदी मैं पहचाना गया | श्री गणेश जी का ये रूप बिलकुल माता पार्वती के जैसा लग रहा था अंतर सिर्फ सर का था जो गणेश जी का सर हाथी के सर से बना हुआ था |