भगवान श्री गणेश को भक्तो के संकटो को दूर करने वाले और घर मैं खुशिया लाने वाले देवता कहा कहा है लिए श्री गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहते है | भगवान श्री गणेश को सभी देवी देवताओ मैं सर्वप्रथम पूजा जाता है | ऐसा कहा कहा जाता है जो भी भक्त भगवान श्री गणेश की सच्चे मन से पूजा करता है भगवान श्री गणेश उसकी हर मनोकामना जरूर पूरी करते है | भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से भाद्रपद भाद्रपद चतुर्दशी तक मतलब श्री गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्थी तक भगवान श्री गणेश की विशेष पूजा अर्चना की जाती है भगवान श्री गणेश जी की स्थापना गणेश चतुर्थी के दिन की जाती है लेकिन चतुर्थी के दिन गणेश जी की मूर्ति की स्थापना विशेष मुहूर्त मैं करना बहुत जरुरी है |
गणेश चतुर्थी का पर्व बहुत ही ख़ास पर्व होता है इस दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था | हर साल भाद्रपद मास मैं ही गणेश चतुर्थी मनाई जाती है | इस दिन लोग बड़े ही धूम धाम से गणेश जी की पूजा अर्चना करते है, महिलाये गणेश जी का व्रत रखती है इस बार गणेश चतुर्थी 2 सितम्बर को मनाई जाएगी |
गणपति जी की स्थापना और पूजन का शुभ मुहूर्त
ऐसी मान्यता है की गणेश जी का जन्म मध्यकाल के दौरान हुआ था इसलिए मध्याहृ के दौरान श्री गणेश जी की पूजा को मान्यता दी जाती है | अगर हिन्दू समय के अनुसार देखे तो सूर्य उदय से सूर्यास्त के बीच की अवधि को ही विशेष शुभ मुहूर्त माना जाता है इसी समय श्री गणेश की पूजा की जानी चाहिए | शास्त्रों के अनुसार भी गणेश चतुर्थी के दिन इस समय पूजा करना सबसे उत्तम समय माना जाता है |
ऐसे करे गणेश चतुर्थी पर श्री गणेश की पूजा
आपने जिस जगह भगवान श्री गणेश की मूर्ति की स्थापना की है वहा आप चाँदी या तांबे के कलश मैं मूर्ति के दायी तरफ जल भरकर रखिये, कलश के नीचे चावल या अक्षत रख दीजिये और उसके ऊपर मोती जरूर बांधे, आप भगवान श्री गणेश की बाई तरफ चावल के ऊपर घी का दीपक जरूर जलाये | अगर माला जपने का समय भी रखते है तो आपको मनवांछित फल की प्राप्ति जरूर होगी और इसके बाद आप भगवान श्री गणेश की आरती कीजिये और इस मंत्र का जाप कीजिये...
गणेश चतुर्थी पर रखे इन बातों का विशेष ध्यान
गणेश चतुर्थी के दिन आप चंद्र के दर्शन बिलकुल भी मत करना क्योंकि इसकी बजह से कलंक लगता है अगर आप गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र के दर्शन करते है तो आपको दोष लगता है भगवान श्री कृष्ण को भी चंद्र के दर्शन करने के कारण ही स्यमन्तक नामक बहुमूल्य मणि की चोरी का कलंक चंद्र के दर्शन करने के कारण ही लगा था |