कुशग्रहणी अमावस्या में कुश से आशय एक प्रकार की घास से है, जिसका इस्तेमाल भाद्रपद की अमावस्या के दिन किसी भी प्रकार के धर्म कर्म से जुड़े कार्यो में किया जाता है, शास्त्रों में कुशा घास के 10 प्रकारो का वर्णन मिलता है जिसके अनुसार पूजा पाठ में इनमे से किसी भी प्रकार की घास का उपयोग कर सकते है, कुशा घास को उपयोग लेते समय इस बात का ध्यान रखे की यह पूरी तरह से स्वच्छ और कहीं से कटी हुयी ना हो, साथ ही हरी हो, भगवान को कुशा एक दम स्वच्छ व हरी भरी अर्पित की जाती है |
सूर्योदय के समय तोड़े कुशा
कुशा घास को तोड़ने का सही समय सूर्योदय को ही माना गया है, इस बात का ध्यान रखे की रात में भूलकर भी कुशा ना तोड़े, कई लोग कुशा घास का आसान भी बनाते है और भगवान के पूजन के समय उस पर बैठकर पूजा करते है, वहीँ कुछ लोग कुशा की अंगूठी बनाकर अनामिका अंगुली में धारण करते है |
कुशा का महत्व
शास्त्रों के अनुसार पूजन में कुशा घास के उपयोग करने से पूजा सफल होती है और मनोकामना शीघ्र पूर्ण होती है, कुशा घास के आसन पर बैठकर भगवान की आराधना करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, साथ ही ऐसा माना जाता है की कुशा के आसन पर बैठकर मंत्रोच्चारण करने से सिद्धि की प्राप्ति होती है, इसीलिए आप भी पूजन के समय कुशा के आसन पर बैठकर ही पूजा करे |
इस दिन करे यह काम
कुशग्रहणी अमावस्या के दिन आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करे, पूजन करने से पहले भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करे |
इस दिन हनुमान मंदिर में बजरंगबली के सामने एक सरसो के तेल का दीपक जलाये और साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ करे |
प्रातःकाल में स्नान करे पीपल के पेड़ का अभिषेक करे और उसका पूजन करे, और पूजन के बाद पीपल की 7 बार परिक्रमा करे और एक घी का दीपक भी जलाये |
कुशग्रहणी अमावस्या पर शिवलिंग का जलाभिषेक अवश्य करे और इस दिन दान करना भी बहुत शुभ माना गया है |