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चाणक्य नीति: केवल मृत्यु को प्राप्त करने के लिए जन्म लेते है ये लोग, जानिए

Sep 05 2019

Posted By:  Sunny

आचार्य चाणक्य को कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है, बताया जाता है की उनके समान राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ आज तक पैदा नहीं हुआ, उन्होंने केवल राजनीती ही नहीं बल्कि मनुष्य के स्वभाव और उसकी सफलता को लेकर भी कई बाते बताई थी, उन्होंने एक मनुष्य की सफलता के लिए सफलता सूत्र दिए थे जिनका पालन अगर आज भी कोई इंसान करे तो उसे सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता है, आचार्य चाणक्य का कहना था की मनुष्य का जन्म 84 लाख यौनियो से गुजरने के बाद मिलता है ऐसे में अगर इस जन्म में अगर हमने कुछ नहीं किया तो मनुष्य रूप में जन्म लेना व्यर्थ है, इसीलिए मरने से पहले मनुष्य को कुछ ऐसे काम करने चाहिए जिससे उसके मरने के बाद भी लोग उसे याद करे | जीवन में किसी उद्देश्य का होना बहुत जरुरी है तभी जीवन को सफल बनाया जा सकता है, आचार्य चाणक्य ने कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताया था की अगर जीवन में अगर इन चीजों को प्राप्त नहीं किया जाये तो मनुष्य रूपी जीवन व्यर्थ है |

धर्म 




अधर्मी मनुष्य को समाज में कभी भी में जगह नहीं मिलती है, संसार का सार भी धर्म में ही छिपा है और इस संसार से मुक्ति पाने का रास्ता भी धर्म से ही जुड़ा है | पुराणों के अनुसार मनुष्य का जन्म धर्म से जुड़कर कर्म से मुक्त होने के लिए ही होता है, इसीलिए जो व्यक्ति धर्म को नहीं अपनाता है, वह परम गति प्राप्त नहीं कर पाता है और उसका जीवन व्यर्थ हो जाता है, ऐसे मनुष्य का जन्म सिर्फ मरने के लिए ही होता है | धर्म से तात्पर्य भगवान की भक्ति में लीन होने से नहीं बल्कि प्रत्येक कार्य को ईमानदारी और धर्म से करने से है |

काम


इस सृष्टि के संचालन के लिए परिवार को आगे बढ़ाना बहुत जरुरी है, लेकिन अगर किसी इंसान के जीवन में यदि काम का स्थान ही नहीं है और अगर कोई व्यक्ति अतिकामी है ये दोनों अवस्थाये ही मनुष्य के लिए हानिकारक है, ऐसे में यदि कोई व्यक्ति सिर्फ काम भावना के लिए जीता है तो उसका जीवन किसी काम का नहीं है वह एक पशु के सामान है और अगर कोई व्यक्ति काम भावना को महत्व ना देते हुए अपने दाम्पत्य जीवन से दूर रहता है तो उसका जीवन भी व्यर्थ है | शास्त्रों के अनुसार मनुष्य का अपने परिवार को आगे बढ़ाना बहुत जरुरी है जो ऐसा नहीं करता है उस पर जीवन भर उसके पित्तरो का ऋण रहता है |

भोजन




भोजन जीवन जीने के लिए किया जाता है ना की भोजन के लिए जीया जाता है, इसीलिए व्यक्ति को भोजन सिर्फ जितनी आवश्यकता हो उतना ही करना चाहिए, अधिक भोजन से स्वास्थ्य पर असर पड़ता है साथ ही किसी कार्य में मन भी नहीं लगता है, ऐसे अतिभोगी मनुष्य सिर्फ मृत्यु के लिए ही पैदा होते है |

मोक्ष


मन को चंचल माना गया है इसीलिए प्रत्येक मनुष्य को अपने मन को वश में करना आना चाहिए | अगर कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु के पश्चात मोक्ष की इच्छा रखता है और जीवन में तुच्छ कार्य करता है तो वह कभी मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाता है, ऐसा व्यक्ति  निरर्थक जीवन जीता है उसका जीवन मृत्यु से भी बदतर हो जाता है |  
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