हमारा देश एक धार्मिक देश है और हमारे देश मैं सभी धर्मो के लोग निवास करते है और सभी धर्मो को सामान अधिकार भी प्राप्त है | हमारे भारत देश मैं सबसे ज्यादा हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग रहते है | आपने अक्सर देखा होगा या फिर ऐसा किया होगा की लोग किसी धार्मिक स्थान जैसे मंदिर मैं जाने से पहले सीढ़ियों को स्पर्श करते है और उसके बाद मंदिर मैं प्रवेश करते है और उसके बाद ऊपर लगी घंटी को बजाते है | क्या आपने ऐसा कभी सोचा है की लोग ऐसा क्यों करते है और क्या है इसका महत्त्व...
आपको ये तो पता होना चाहिए की जिन मंदिरो मैं घंटी बजती है उस मंदिर को जाग्रत देव मंदिर कहा जाता है | मंदिर के प्रवेश द्वार पर घंटी बजाने से भगवान का आशीर्वाद और धन की प्राप्ति होती है | ये प्रथा प्राचीन काल से ऐसे ही चली आ रही है और हर आस्तिक व्यक्ति इस प्रथा का पालन करता आ रहा है | लेकिन क्या आप जानते है मंदिर मैं घंटी बजाने से पहले लोग सीढ़ियों को स्पर्श करते है माथा टेकते है | लोग ऐसा क्यों करते है आईये जानते है इसके बारें मैं...
आप सभी लोग इस बात को तो जानते ही है की जब भी आप मंदिर जाते है तो सर्वप्रथम आप मंदिर की सीढ़ियों को स्पर्श करते है माथा टेकते है | ये प्राचीन परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और आप भी आँख बंद करके बड़े बुजुर्जो की बात मानकर इस परंपरा को निभाए जा रहे है | इस सब के पीछे क्या कारण है क्या आप जानना चाहोगे...
दरअसल इस सब के पीछे सिर्फ ये कारण है की जब भी आप मंदिर पर पूजा करने जाते है तो आप अपनी पूजा मंदिर की सीढ़ियों से ही स्टार्ट करते है और कुछ लोग ऐसा कहते है की आप मंदिर के भगवान से मंदिर मैं आने के लिए अनुमति मांगते है इसलिए ऐसा करते है | इन सब बातो से ये नजर आता है की लोग भगवान को अपने विनम्र स्वभाव का परिचय दे रहे है | मंदिर की पहली सीढ़ी आपको मुख्य मंदिर और मंदिर की मूर्ति से जोड़ती है |
हिन्दुओं का मंदिर पूर्णरूप से वास्तुकला, स्थापत्य वेद पर आधारित है | जिसका मतलब ये होता है की मंदिर का पूरा ढांचा वेद को ध्यान मैं रखकर ही बनाया जाता है | इस वेद के अनुरूप गोपुरम मतलब मंदिर के मुख्य द्वार पर ही देवता के पैर विराजमान रहते है इसका मतलब ये साफ़ है की मंदिर की पहली सीढ़ी छूना देवता के पैर छूने के बराबर माना जाता है |