हमारे पुराणों में समुद्र मंथन का वर्णन मिलता है, बताया जाता है की जब समुद्र मंथन किया गया था तब उस समय समुद्र में से अमृत भी निकला था, पुराणों के अनुसार इस अमृत को देवताओ ने बड़े ही चातुर्य से असुरो से बचाकर स्वयं ग्रहण कर लिया था क्योंकि यदि असुर इसे ग्रहण कर लेते तो सृष्टि खतरे में पड़ सकती थी | कई लोग इस अमृत की कथाओ को असत्य मानते है तो वही कई लोग इसे सत्य मानते है, आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी प्रदान करने जा रहे है जहां एक कलश मौजूद है और दावा किया जाता है कि उस कलश में आज भी अमृत मौजूद है |
दरअसल मुस्लिम देश इंडोनेशिया में एक मंदिर मौजूद है और उस मदिर में मौजूद एक कलश के बारे मे दावा किया जाता है कि यह वही कलश है जो समुद्र मंथन में निकला था | इस मंदिर का नाम कंडी सुकुह है जो कि इंडोनेशिया में मौजूद है, इस मंदिर में एक कलश में एक द्रव्य भरा हुआ है, यह द्रव्य इसमें हजारो सालो से भरा हुआ है, ऐसा माना जाता है कि यह द्रव्य अमृत है जो हजारो सालो के बीतने के बाद भी सूखा नहीं है |
यह कलश यहां के पुरातत्व विभाग को 2016 में मिला था तब यहाँ मरम्म्मत का कार्य चल रहा था, यह कलश मंदिर की दीवार की नींव में स्थापित किया गया था और इसके ऊपर एक पारदर्शी शिवलिंग स्थापित था जिसमे किसी प्रकार का द्रव्य भरा हुआ था |
बाद में जब उस कलश कि जांच कि गयी तो सामने आया कि उस कलश को शिवलिंग के साथ इस तरह से जोड़ा गया है कि उसे कोई खोला ना सके, इसके अलावा दूसरी चौकाने वाली बात यह है कि जिस दीवार से यह कलश प्राप्त हुआ है उस दीवार पर समुद्र मंथन कि नक्काशी भी की गयी थी और साथ ही महाभारत के आदिपर्व का भी उल्लेख भी किया गया था |
जानकारी के अनुसार यह मंदिर करीब 1437 ईसा पूर्व पुराना है और यह कलश लगभग 1000 साल पुराना माना जा रहा है, 15वी शताब्दी से पहले इंडोनेशिया हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था लेकिन 15वी शताब्दी के बाद से यहां इस्लाम ने अपने पैर पसार लिए, उस समय कई हिन्दू मंदिर ध्वस्त किये गए थे, माना जा रहा है कि उस समय ही इस कलश को इस मंदिर में छुपाया गया होगा |