हमारे प्राचीन हिन्दू शास्त्रों और पुराणों में ऐसे कई उपाय और तथ्य बताये गए है जिनका पालन करने से मनुष्य जीवन को सफल बनाया जा सकता है, इन उपायों को करने से मनुष्य सद्गति को प्राप्त करता है | हमारे शास्त्रों में हमारे भोजन से लेकर हमारे रहने, पहनने तक के कई नियम बताये गए है, इन सभी नियमो में के चलते ही पूजा पाठ में बिना सिले हुए दो वस्त्रो को पहनने का विधान बताया गया है | इस नियम के पीछे की वजह बताई जाती है कि सिले हुए वस्त्र हमे मोह माया के बंधन में होने का अहसास दिलाते है वही बिना सिले हुए वस्त्र सांसारिकता से आजादी का प्रतीक माने जाते है | वस्त्रो से ही जुडी बात विष्णु पुराण में भी बताई गयी है जिसमे कुछ दशाओ का वर्णन किया गया है जिसमे मनुष्य का निर्वस्त्र रहना बहुत ही गलत माना गया है | आज हम आपको उन्ही 4 दशाओ के बारे में बता रहे है जिनमे कभी भी निर्वस्त्र नहीं रहना चाहिए |
स्नान के समय
विष्णु पुराण के बारहवे अध्याय में बताया गया है कि स्नान करते समय मनुष्य को कभी भी निर्वस्त्र नहीं रहना चाहिए | श्री कृष्ण ने अपनी लीलाओ में यह सन्देश दिया था कि स्न्नान करते समय मनुष्य का निर्वस्त्र होना उसे पाप का भागी बनाता है क्योंकि निर्वस्त्र होक स्नान करने से जल देवता रुष्ठ हो जाते है |
सोते समय
शास्त्रों में निर्वस्त्र होकर सोना भी बहुत ही गलत माना गया है, ऐसा करने से चंद्र देव का अपमान होता है, ऐसा भी माना जाता है कि रात में नग्न होकर सोने से पित्तर भी नाराज होते है क्योंकि रात के समय पित्तर अपने प्रियजनों को देखने आते है और ऐसे में अपने प्रियजनों को नग्न अवस्था में पाकर वे दुखी होते है |
हाथ मुँह धोते समय
विष्णु पुराण के अनुसार आचमन करते समय या हाथ पैर धोते समय या कुल्ला करते समय भी निर्वस्त्र नहीं रहना चाहिए और किसी भी जल स्त्रोत के पास नग्न नहीं रहना चाहिए ये अशुभता लाता है क्योंकि जल पर वरुण देव का अधिकार माना जाता है |इससे वरुण देव नाराज हो सकते है | इसके अलावा दूसरा कारण यह है कि जल क्षेत्रो के पास पित्तरो का स्थान भी माना जाता है और ऐसी जगह पर निर्वस्त्र रहने से देव और पित्तर नाराज हो सकते है |
पूजन के समय
पुराणों में बताया गया है कि देवी देवताओ के पूजन के समय बिना सिले हुए वस्त्र धारण करने चाहिए और गीले वस्त्र कभी भी धारण नहीं करने चाहिए, लेकिन पित्तरो के पूजन के समय गीले वस्त्र धारण करने का विधान है | किसी भी प्रकार के पूजन में निर्वस्त्र या आधे वस्त्र पहन कर शामिल होना पाप का भागी बनाता है |