भगवान ने दुनिया में स्त्री पुरुष के अलावा एक जाति और बनाई है और वो है किन्नर, आपने इन लोगो को कई समारोह जैसे शादी, ब्याह या किसी के जन्मदिन पर देखा होगा, इन लोगो को आपने बच्चो के जन्म पर खासकर देखा होगा, वैसे कई लोग ऐसे है जो इनसे दूर रहने में ही अपनी भलाई समझते है, किन्नरों को भारतीय समाज में कुछ खास दर्जा नहीं दिया जाता है लेकिन जब भी इनके बारे में कोई बात आती है तो, हर कोई इनके बारे में जानने के लिए उत्सुक हो जाता है | वैसे आज के बजाय अगर हम प्राचीन समय की बात करे तो प्राचीन समय किन्नरों को बहुत ही सम्मानपूर्वक दृष्टि से देखा जाता था, किन्नरों को धार्मिक ग्रंथो में बहुत ही सम्मानित स्थान दिया गया है, महाभारत काल में भी बताया गया है कि अर्जुन को भी कारणवश किन्नर का रूप धारण कर के रहना पड़ा था | किन्नरों के बारे में बताया जाता है कि इनके रीती रिवाज भी बहुत ही रहस्य भरे होते है जिनके बारे में हर कोई नहीं जानता है | आज हम आपको किन्नरों के कुछ ऐसे ही रिवाज बताने जा रहे है जो वाकई आश्चर्यजनक है |
इस बात से सभी वाकिफ है कि किसी की भी शवयात्रा दिन के उजाले में ही निकलती है लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी की किन्नरों की शवयात्रा दिन की बजाय रात में निकलती है ताकि कोई भी अन्य इंसान इस यात्रा का साक्षी ना बन सके |
इनके समुदाय के नियम के अनुसार कोई भी गैर समुदायी व्यक्ति इनके शवयात्रा में शामिल नहीं हो सकता है |
किन्नरों के समुदाय की खास बात यह है कि ये मृत्यु पर शोक नहीं मनाते है इनका मानना होता है कि मृत्यु प्राप्त करने वाले इंसान को इस नर्क के समान दुनिया से मुक्ति मिली है |
किन्नर हिन्दू धर्म को मानते है लेकिन फिर भी इनके समुदाय में शव को जलाने की बजाय दफनाया जाता है |
जब भी इनके समुदाय में नए किन्नर का आगमन होता है तो उसका भव्य स्वागत किया जाता है |
अन्य समुदायों की तरह इनके समुदाय में भी विवाह होता है लेकिन इनका विवाह इनके आराध्य भगवान से ही होता है और शादी के अगले दिन ये विधवा भी हो जाते है |
बताया जाता है कि किन्नरों का एक गुरु होता है जो इनके बारे में सभी बाते जानता है और इनकी मृत्यु के बारे में भी उस गुरु को पता होता है |
किन्नर अपने सम्पूर्ण जीवन में इसी बात की दुआ मांगते है कि इनका पुर्जन्म इस रूप में ना हो |
इनके बारे में सबसे हैरानी वाली बात यह है कि इनके गुरु मुस्लिम होते है, जबकि इनकी रीतियां पूरी तरह हिन्दू होती है |
समाज में सबसे पहले किन्नरों को जगह मुगल काल में मिली थी, ये समाज का महत्वपूर्ण अंग थे |