भगवान शिव के क्रोध से सभी वाकिफ है | भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि शिव जी को अपने भक्तो से बहुत प्रेम करते है, और जो लोग गलत काम करते है, पाप करते है उनको उनके पाप की सजा देते है | भगवान शिव ने जब क्रोधित होकर अपनी तीसरी आँख खोली थी तब कामदेव का क्या हाल हुआ था ये सभी जानते है | पुराणों में ऐसी कई बाते बताई गयी है जिनको महापाप माना गया है | शिव पुराण में ऐसी 12 बातो का वर्णन है, जिनको पाप माना गया है, शिव पुराण के अनुसार यदि किसी व्यक्ति ने इनमे से किसी एक पाप को भी कर दिया तो कभी जीवन में सुखी नहीं रह पाता है, उसे भगवान शिव पापो की सजा अवश्य देते है | पाप सिर्फ किसी काम को करने से ही नहीं होता है कई बार मन में ऐसे विचार लाना जिनमे दुसरो को नुकसान पहुँचाना या ऐसा करने के बारे में सोचना भी पाप की श्रेणी में आता है | आज हम आपको उन 12 बातो के बारे में बताने जा रहे है जिन्हे पाप माना गया है, तो आइये जानते है वो कौनसे काम या विचार है |
एक शादीशुदा इंसान को किसी दूसरे इंसान के साथ संबंध नहीं बनाने चाहिए ये घोर पाप है |
कभी किसी दूसरे की धन दौलत पर नज़र नहीं डालनी चाहिए, ऐसा करना पाप है |
कभी किसी निर्दोष इंसान को दुःख नहीं पहुँचाना चाहिए, दुसरो को दुःख पहुँचाना, दुसरो की राह में बाधा डालना, परेशानियाँ खड़ी करना ये सभी काम पाप की श्रेणी में आते है | शिव जी कभी ये पाप क्षमा नहीं करते है |
सदैव मन में अच्छे ख्याल रखने चाहिए और हमेशा अच्छे कर्म ही करने चाहिए किसी के लिए मन में गलत सोचना भी पाप के समान है |
विधवा स्त्री और रजस्वला स्त्री को कभी भी कटु शब्द नहीं बोलने चाहिए, इन स्त्रीओ के साथ दुर्व्यवहार करना शिव जी को क्रोधित करता है |
किसी के साथ छल कपट करने का विचार कभी मन में नहीं लाना चाहिए |
किसी अच्छे व्यक्ति के मान सम्मान, प्रतिष्ठा को हानि नहीं पहुचानी चाहिए और ना ही पीठ पीछे किसी की बुराई करनी चाहिए |
धर्म में जिन चीजों के सेवन के लिए मनाही है उन चीजों का सेवन करना पाप है, धर्म के नियमो के विरुद्ध काम करना भी पाप है |
अपने से कमजोर लोगो पर और जानवरो के साथ हिंसा करना महापाप है, साथ ही असामाजिक कार्यो में शामिल होना भी पाप की श्रेणी में आता है |
मंदिर में चोरी करना या ऐसा करने का विचार भी मन में लाना पाप है, ऐसे व्यक्ति को शिव जी कभी माफ़ नहीं करते है |
जो व्यक्ति अपने पूर्वजो, माता पिता, गुरुजनो का अपमान करता है, उनका तिरस्कार करता है वो पापी कहलाता है |
अपने गुरु की पत्नी, मित्र की पत्नी के साथ नाजायज संबंध स्थापित करना घोर पाप की श्रेणी में आता है ऐसा मनुष्य नर्क की सजा भोगता है |