आज बिकिनी पहनकर दुनिया के सामने आना आम बात हो गया है | भारतीय फिल्मो में भी आज एक्ट्रेस बिकिनी पहनकर आने लगी है | आजकल तो बिकिनी का पहनकर अंग प्रदर्शन करने का मानो चलन ही बन गया है | भारतीय समाज में आज भी बिकिनी को अश्लीलता का प्रतीक माना जाता है |
भारत में बिकिनी का चलन पश्चिमी देशो से आया है और इसे हमारे देश का बॉलीवुड और कई मॉडल अपना रही है | वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सिर्फ भारत ही नहीं है जहाँ बिकिनी को अश्लीलता का प्रतीक माना जाता है और भी ऐसे कई देश जहां बिकिनी पहनकर खुलेआम लोगो के सामने आना बिलकुल वर्जित है |
पश्चिमी देशो के बात की जाये तो वहां बिकिनी को किसी भी गलत भाव से नहीं देखा जाता है, बिकिनी को वहीँ दर्जा प्राप्त है जो एक सामान्य पोशाक को प्राप्त होता है | क्या आप जानते है बिकिनी का संबंध एटम बम से है | जी हाँ एटम बम से तो आइये जानते है आज की इस पोस्ट में आपके लिए क्या खास है |
बिकिनी का चलन पश्चिमी देशो में करीब 1700 साल पुराना है | 1700 साल पुराने एक रोमन साम्राज्य से जुड़े एक मोज़ेक से इसके सबूत मिलते है | इस मोजेक में महिलाओ की पेंटिंग बनी है जिन्होंने बिकिनी पहनी हुयी है | इतिहासकारो ने इस मोज़ेक को चैम्बर ऑफ़ द टेन मैडेन्स नाम दिया है |
बिकिनी को सबसे पहले एक फ्रेंच डिज़ाइनर जैकेस हैम ने तैयार किया था, उन्होंने बेहद कम कपड़ो से औरत के जिस्म को ढकने की कोशिश की थी | उस फ्रेंच डिज़ाइनर ने इसका नाम एटम रखा था क्योंकि उस दौर में न्युक्लेअर फिजिक्स के प्रति लोग आकर्षित हो रहे थे और कई जगहों पर एटम बम के प्रयोग भी हो रहे थे |
इसके बाद 1946 में एक अन्य फ्रेंच कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर लुइस रेअर्ड ने स्विमसूट बनाया और दुनिया के सामने सबसे छोटे स्विमसूट के नाम से प्रदर्शित किया जो की वाकई में बहुत छोटा था | इसके बाद उन्होंने इसका नाम बिकिनी रखा | उन दिनों अमेरिका ने प्रशांत महासागर के बिकिनी एटोल द्वीप पर परमाणु परीक्षण किया था | इस द्वीप के नाम से प्रेरित होकर लुइस ने अपने इस स्विमसूट का नाम बिकिनी रखा था |