हमारे भारत देश में सभी धर्मो के लोग निवास करते है और सभी धर्मो को समान अधिकार भी प्राप्त है | आपने आपसी भाईचारे, सांप्रदायिक, सौहार्द, सद्भाव और सहिष्णुता जैसे शब्द सुने तो होंगे लेकिन इन शब्दों का सही मतलब किया होता है क्या आपने जाना है | आपसी भाईचारे जैसे शब्दों को बोल तो आसानी से देते है मगर इन शब्दों का सही से पालन नहीं कर पाते है | कुछ ऐसे असामाजिक तत्व भी इस दुनिया में मौजूद होते है जो लोगो को भड़काने का कार्य करते है मगर आपसी मेलमिलाप और भाईचारे को बहुत कम लोग ही बढ़ावा दे पाते है | ऐसी ही भाईचारे की मिशाल आज हम आपको बताने जा रहे है |
पक्षिम बंगाल के मुस्लिम समुदाय के लोगो ने भाईचारे की मिसाल कायम करते हुए ऐसा कार्य किया है कि पूरे देश में इन लोगो की प्रशंसा हो रही है | पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मुसलमानो ने चंदा इक्क्ठा करके न सिर्फ काली माँ के मंदिर निर्माण के लिए दिया बल्कि इस मंदिर का निर्माण करवाने में भी की सहायता की है |
दरअसल हुआ ये कि दो वर्ष पूर्व बीरभूम जिले में चौड़ी सड़क बन रही थी उस सड़क के काम के चलते काली माता के मंदिर को तोडा गया लेकिन उसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगो ने चंदा इकठ्ठा करके इस मंदिर का निर्माण दुवारा से करवाया है रविवार यानी दिवाली के दिन इस मंदिर का दुवारा से निर्माण करवा दिया गया है | इस मंदिर का उद्धघाटन खुद मौलवी ने किया है आपको जानकारी के लिए बता दें की ये घटना बासपुर की है जो की कोलकाता से 160 किलोमीटर की दूरी पर है |
यहाँ के स्थानीय निवासी निखिल भट्टाचार्य ने बताया की काफी लम्बे से से लोग यहाँ चौड़ी सड़क की मांग कर रहे थे ऐसे में यहाँ की पंचायत ने चौड़ी सड़क बनवाने की मांग मान ली और सड़क के निर्माण में मंदिर को तोडना पड़ा | पिछली वार दुर्गा पूजा का त्यौहार पंडाल बनवाकर करना पड़ा था जो की काफी महंगा पड़ा था इसलिए मुस्लिम भाइयो ने चंदा इक्कठा करके मंदिर दूसरी जगह बनवा दिया | इस मंदिर के निर्माण में कुल 10 लाख रुपया का खर्चा आया था |
2011 की जनगणना के अनुसार इस इलाके में 35 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय के लोग रहते है 7 लाख रूपये तो मुस्लिम भाइयो ने इक्कठे कर लिए थे और बाकी के रूपये अन्य समुदाय के लोगो से इक्कठे करके इस मंदिर का निर्माण करवा दिया | मुस्लिम भाइयो ने इस मंदिर का निर्माण करवा के आपसी भाईचारे की मिशाल कायम की है | मौलवी नसरुद्दीन ने बताया की मैंने कई मस्जिदों का उद्घाटन किया मगर जितना आनंद इस मंदिर का उद्घाटन करने में आया उतना किसी और चीज में नहीं आया हमें बहुत ही सुखद और अनोखे अनुभव की प्राप्ति हुई है |