आचार्य चाणक्य ने अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर एक स्त्री के गुणों को बताया है | जब भी कोई पुरुष किसी स्त्री से विवाह करता है तो विवाह करने से पहले उसे स्त्री के 5 गुणों को जरूर देखना चाहिए | स्त्री के ये 5 पांच गुण आपके जीवन के सुख और दुःख निर्धारण का कारण बनते है | स्त्री के वो 5 गुण कौन कौन से है आइये जानते है उनके बारें में...
विवाह से पहले जरूर देखे स्त्री के ये 5 गुण
1 . स्त्री की सुंदरता
आचार्य चाणक्य के अनुसार स्त्री की सुंदरता दो प्रकार ही होती है एक बाहरी और दूसरी आंतरिक | आजकल सभी लोग बाहरी सुंदरता को देखकर की मोहित हो जातें है | यदि सच्चा और अच्छा जीवनसाथी पाना है तो स्त्री की बाहरी सुंदरता को न देखकर स्त्री की आंतरिक सुंदरता को देखना चाहिए | स्त्री की बाहरी सुंदरता तो कुछ दिनों की ही मेहमान होती है जबकि स्त्री के आंतरिक गुण उसके जीवनभर साथ रहते है | इसलिए एक अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए बाहरी नहीं आंतरिक सुंदरता को देखना चाहिए |
2 . एक अच्छे जीवनसाथी में जरूर होने चाहिए ये गुण
विवाह करने से पहले स्त्री के आंतरिक गुणों को जानना बहुत जरुरी है | एक स्त्री ऐसी होनी चाहिए जो अपने से बड़ो का आदर सम्मान करें | एक अच्छे गुणों वाली स्त्री घर को स्वर्ग बना देती है | एक अच्छे गुणों वाली स्त्री अच्छे परिवार की नींव रखती है और आने वाली पीढ़िया भी संस्कारी बनती है | ये बात सिर्फ स्त्रियों पर ही लागू नहीं होती है | पुरुषो में भी इन गुणों का होना बेहद जरुरी है | एक अच्छे परिवार के लिए स्त्री और पुरुष दोनों का संस्कारी होना बेहद जरुरी है |
3 . मर्यादित जीवन के लिए ये गुण भी है बेहद जरुरी
विवाह करने से पहले अपने होने वाले जीवनसाथी के बारें में ये जानना बेहद जरुरी है की आपके जीवनसाथी की धर्म - कर्म के प्रति आस्था है या नहीं | धर्म और कर्म मानव को मर्यादित बनाते है और सद्कर्मो पर चलने की प्रेरणा देते है | धर्म से दूर मनुष्य स्वेछाचारी हो सकता है लेकिन घर परिवार को चलाने के लिए मर्यादित जीवन बहुत जरुरी होता है | इसलिए धर्म कर्म के प्रति आस्था रखना बेहद जरुरी है |
4 . धैर्य रखना बेहद जरुरी
एक अच्छे और सच्चे जीवनसाथी में धैर्य का गुण होना बेहद जरुरी होता है | जो स्त्री मुश्किल से मुश्किल समय में अपने पति के साथ धैर्य से खड़ी रहती है उसके पति का जीवन हमेशा खुशियों से भर जाता है | शास्त्रों के अनुसार एक स्त्री को पुरुष की शक्ति माना गया है | भगवान शिव की शक्ति माता पार्वती को माना गया है और बिना शक्ति के शिव भी शव के समान है | धैर्यवान स्त्री अपने पति को कठिन समय से निकालने में सहायक होती है |
5 . क्रोध व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन
क्रोध को व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन माना गया है | यदि परिवार में पति या पत्नी किसी को भी क्रोध आता है तो ये परिवार के लिए बहुत ही घातक होता है | क्रोध में व्यक्ति अपना विनाश खुद कर लेता है | जिन स्त्रियों का अपने क्रोध पर नियंत्र नहीं रहता है वो स्त्री अपने घर परिवार की चिता स्वयं जलाती है | पति या पत्नी दोनों में से कोई भी अधिक क्रोधी है तो ये परिवार के लिए ठीक नहीं है | उस परिवार की उन्नति कभी भी नहीं हो सकती | स्त्री को शक्ति का भंडार माना जाता है और जब स्त्री को क्रोध रूपी आंच मिल जाती है तो अच्छे खासे घर भी तबाह हो जाते है | इस बात का उदहारण शिव पुराण में देखने को मिलता है क्योंकि जब माता पार्वती को क्रोध आया तो उन्होंने भगवान शिव का ही अंत कर दिया था और जब माता पार्वती को होश आया तो उन्हें पता चला की वो विधवा हो चुकी है | इसलिए पार्वती देवी को धूमावती देवी कहा जाता है और महराभरात का युद्ध भी अंबा के क्रोध के कारण ही हुआ था |