नारदपुराण और धर्म शास्त्रों में कुछ ऐसी बातो का उल्लेख किया गया है यदि कोई भी मनुष्य उन कार्यो को करता है तो उस मनुष्य के सभी पुण्य कर्म पलभर में समाप्त हो जाते है | ऐसा किसी भी व्यक्ति के साथ हो सकता है चाहे वो व्यक्ति अमीर हो या गरीब | कुदरत के द्वारा बनाई गयी उन चीजों का सम्मान करना चाहिए और भूलकर भी उन 3 चीजों का अपमान नहीं करना चाहिए | इन चीजों का अपमान करने से भगवान जी नाराज होते है | यदि आप नीचे बताई गयी चीजों चीजों का अपमान करते है तो आपकी बर्बादी के दिन स्टार्ट हो जायेंगे और आपको भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा | वो तीन चीजे कौन कौन सी है आइये जानते है उनके बारें में...
इन तीन चीजों का अपमान भगवान के अपमान के बराबर होता है |
1 . गाय का अपमान
प्रकृति द्वारा बनाई गई चीजों में गाय को ना सिर्फ मानव जाती ने बल्कि देवताओं ने भी ख़ास दर्जा दिया है | पुराणों के अनुसार गाय को नंदा, सुनंदा, सुरभि, सुशीला और सुमन के नाम से पुकारा जाता है | भगवान श्री कृष्ण के सभी पत्रों में भी गाय को बहुत महत्त्व दिया गया है | गाय को गौ माता और कामधेनु के नाम से पुकारा जाता है | गाय से हमें दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र प्राप्त होता है | गाय को माता के समान माना गया है इसलिए गाय का कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए और जो व्यक्ति गाय का अपमान करता है भगवान उस व्यक्ति को कभी भी माफ़ नहीं करते है और उसे कठोर से कठोर दंड देते है | गाय का अपमान करने के बाद इस पाप का प्रायचित करने का मौका भी नहीं मिलता है इसलिए भूलकर भी ऐसा नहीं करना चाहिए |
2 . तुसली का पौधा
विष्णु पुराण के अनुसार तुलसी के पौधे का कभी भी भूलकर भी अपमान नहीं करना चाहिए | तुसली का सबसे बड़ा अपमान, घर में तुलसी का पौधा होने के बावजूद उसकी पूजा न करना होता है | धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वो घर देवी देवताओं का पूजनीय स्थान होता है और घर में तुलसी का पौधा होने से घर में बीमारियां भी नहीं आती है | तुलसी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजनीय होने के साथ साथ औषधीय गुणों से भरपूर होती है इसलिए तुलसी का कभी भी भूलकर अपमान न करें |
3 . गंगाजल
गंगाजल बहुत ही पवित्र होता है प्राचीन मान्यताओं के अनुसार गंगा नदी के अंदर खुद गंगा मईया निवास करती है | शिवपुराण और विष्णु पुराण के अनुसार जो व्यक्ति गंगाजल का अपमान करता है उसके द्वारा किये गए सभी पुण्य समाप्त हो जाते है और उसे अपने पुण्य कर्मो का फल प्राप्त नहीं होता है | इसलिए हमेशा गंगाजल का सम्मान करना चाहिए अनेक धार्मिक अनुष्ठानो में गंगा के जल का प्रयोग किया जाता है |