हिन्दू धर्म में नदियों को पवित्र दर्जा दिया गया है | गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती और भी कई नदिया है, जिनका धार्मिक महत्व है और उन्हें माँ का दर्जा दिया गया है | अपने पैराणिक महत्व के कारण इन नदियों को आज भी पूजा जाता है | इन सभी नदियों में गंगा को सबसे प्रमुख माना जाता है |
गंगा नदी को भागीरथ अपने तप से घरती पर लाये थे, परन्तु गंगा का वेग बहुत तेज था जिस कारण महादेव ने उन्हें नियंत्रित करने के लिए अपनी जटाओं में बाँध लिया | गंगा को मोक्ष प्राप्ति का माध्यम माना जाता है, ये मनुष्यो के पाप भी धोती है | हिन्दू धर्म में शव के अंतिम संस्कार के पहले उसके मुख में गंगाजल रखा जाता है, और अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया जाता है | इतना ही नहीं हिन्दू धर्म में गंगाजल के बिना कोई भी शुभ कार्य सम्पन्न नहीं हो पाता है |
जो भी हिन्दू धर्म से संबंध रखते है, उनके घर में गंगाजल जरूर मिलता है | गंगाजल की पवित्रता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये कभी खराब नहीं होता है, न ही इसमें कभी कीड़े पड़ते है | क्या आप इसके पीछे की वजह जानते है ?
अब इसके पीछे भगवान की महिमा भी कही जा सकती है लेकिन इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है | दरअसल सालो के रिसर्च से सामने आया है की गंगा के पानी में एक वायरस है, जो इसके पानी में सडन पैदा नहीं होने देता है | यही वजह है कि अगर इसके पानी को सालो तक स्टोर करके रखने पर भी वह खराब नहीं होता है |
इतिहास में इस बारे में जानकारी मिलती है | 1890 में अर्नेस्ट हैकिंग गंगा के पानी पर रिसर्च कर रहे थे, उस दौरान देश में हैजा महामारी का रूप ले रहा था और लोग मृतको की लाशे गंगा में फेक रहे थे | तब अर्नेस्ट को लगा कि कहीं इससे गंगा में नहाने वाले लोग भी बीमारी की चपेट में ना आ जाये, तो उन्होंने इसके पानी की जांच की तो पाया कि गंगा का पानी बिलकुल शुद्ध था, उसमे कोई बैक्टीरिया या कीटाणु नहीं था |
इस पर उन्होंने 20 साल रिसर्च की तब उन्होंने पाया कि गंगा के पानी में एक वायरस है, जो इसके पानी को खराब नहीं होने देता है | उन्होंने इस वायरस को निन्जा वायरस नाम दिया | आधुनिक वैज्ञानिको ने भी गंगा के पानी की निर्मलता के लिए इसी वायरस को जिम्मेदार माना है |