हिन्दू धर्म में पूजा पाठ में स्वास्तिक का बहुत महत्व है | प्रत्येक शुभ काम के आरम्भ में स्वास्तिक जरूर बनाया जाता है | स्वास्तिक का महत्व सिर्फ ज्योतिष ही नहीं पूजा पाठ में भी बहुत है | वास्तु शास्त्र में अलग अलग रंग के स्वास्तिक का अलग अलग महत्व बताया गया है | आज हम आपको स्वास्तिक के अलग अलग रंगो के महत्व और उनके बारे में जानकारी देने जा रहे है |
स्वास्तिक का निर्माण
स्वास्तिक का निर्माण प्लस या धन के चिन्ह से किया जाता है, पहले धन का चिन्ह बनाये | इसके बाद इसके प्रत्येक कोनो पर दाहिनी तरफ से रेखा खींचते हुए 90 डिग्री का कोण बनाये | एक बात ध्यान रखे, रेखा खींचने का कार्य ऊपरी भुजा से किया जाता है | इसके बाद उसके चारो कोष्टकों में बिंदी लगा दे |
पीला स्वास्तिक
स्वास्तिक अधिकतर हल्दी से बनाया जाता है | पीले रंग का घर की उत्तर दिशा की दीवार पर बनाया गया स्वास्तिक घर में सुख शांति लाता है | इसके अलावा मांगलिक कार्यो की शुरुआत करते समय लाल रंग का सिंदूर से स्वास्तिक बनाया जाता है |
काला स्वास्तिक
काले रंग का स्वास्तिक बुरी नजर से बचाव और छुटकारा पाने का सबसे कारगर उपाय माना जाता है | यदि घर का कोई सदस्य बुरी नजर की चपेट में आ जाये तो घर के मुख्य द्वार में कोयले से या काजल से स्वास्तिक बना दे | इस उपाय से घर के किसी भी सदस्य पर बुरी नजर का असर नहीं होगा |
लाल स्वास्तिक
लाल रंग का स्वास्तिक घर के प्रवेश द्वार पर बनाया जाता है | यह बेहद पवित्र माना जाता है, लाल रंग का स्वास्तिक गणेश जी और शुभता का प्रतीक माना जाता है | घर के प्रवेश द्वार पर बना स्वास्तिक घर में सुख समृद्धि लाता है |
यहाँ ना बनाये स्वास्तिक
स्वास्तिक हमेशा स्वच्छ और पवित्र जगहों पर बनाया जाता है | इसे कभी भी अस्वच्छ जगहों जैसे वाशरूम या बाथरूम के पास नहीं बनाना चाहिए | इससे बुद्धि और विवेक में कमी आने लगती है और घर में दरिद्रता पैर पसारने लगती है | कई बार जब लोग गृह प्रवेश की पूजा करवाते है, तो घर के प्रत्येक द्वार पर स्वास्तिक बनवाते है, कई बार बाथरूम के द्वार पर भी ये चिन्ह बना देते है, जो की सही नहीं है |