इस सृष्टि का कर्ता धर्ता ईश्वर है, हिन्दू धर्म में ईश्वर की पूजा पाठ करने और अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु देवी देवताओ की आराधना का विशेष महत्व है | जो लोग पूरी तरह सक्षम है, जिनके धन धान्य की कमी नहीं है वे भी देवी देवताओ को धन्यवाद देते है | कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि प्रत्येक व्यक्ति भगवान से सुख शांति की कामना करता है, चाहे वह कैसी भी स्थिति में अपना जीवन यापन कर रहा हो |
शास्त्रों में बताया गया है हिन्दू धर्म से ताल्लुक रखने वाले घर में पूजा घर अवश्य होना चाहिए | साथ ही वास्तु में इस मंदिर की दिशा ईशान कोण तय की गयी है | कई लोग पूजा घर में देवी देवताओ की कई तस्वीरें और मुर्तिया स्थापित कर लेते है, जो कि सही नहीं है, वास्तुशास्त्र में इस बारे में विस्तार से समझाया गया है | इसी प्रकार शास्त्रों में कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताया गया है, जिन्हे पूजा घर में जरूर जगह देनी चाहिए, तो आइये जानते है वे कौनसी चीजे है |
आचमन
आचमन आराधना का सबसे महत्वपूर्ण अंग है | आचमन एक छोटे ताम्बे के बर्तन में रखे पानी को कहा जाता है, इसमें एक तुलसी का पत्ता भी रखा जाता है | इसमें एक ताम्बे का ही एक छोटा चम्मच होता है | इस पानी को पीना आचमन कहलाता है, तथा जिस बर्तन में पानी रखा जाता है, उसे आचमनी कहा जाता है | किसी भी पूजा पाठ, यज्ञ या प्रार्थना के प्रारम्भ में शुद्धिकरण के लिए आचमन ग्रहण किया जाता है | इसे पूजा के दौरान भी कई बार ग्रहण किया जाता है |
पंचामृत
किसी भी हवन या पजा पाठ में पंचामृत का बहुत महत्व होता है | इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है, इसे बनाने में दही, शहद, गुड़, घी और मेवे का इस्तेमाल किया जाता है | इसमें यदि तुलसी का पत्ता भी डाल दिया जाये तो ये ईश्वर का प्रसाद बन जाता है | इसे प्रतिदिन की पूजा में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, इस भगवान को अर्पित करने के बाद ही ग्रहण किया जाता है |
चन्दन
चंदन में शीतलता पायी जाती है | पूजा पाठ से पहले इसीलिए माथे पर चंदन का तिलक या लेप लगाया जाता है, ताकि भगवान की आराधना से पहले मन शांत रहे, क्योंकि अशांत मन से की गयी पूजा का कोई महत्व नहीं होता है | चंदन लगाकर पूजा करने से मन शांत और शीतल तो रहता ही है, साथ ही में इससे क्रोध में भी कमी आती है |