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कुंडली के किसी भी दोष को दूर सकता है श्रीकृष्ण का ये शक्तिशाली मंत्र, हर समस्या का है ये समाधान

Jan 19 2020

Posted By:  Sunny

कई बार देखने में आता है कि कुछ लोगो के जीवन में आये दिन कोई ना कोई परेशानी आती रहती है, कई बार इसके पीछे की वजह कुंडली में दोष होते है | कुंडली में किसी भी तरह का दोष हो, ग्रहो की दशा खराब हो, इससे जातक के जीवन में परेशानी ही खड़ी होती है | ऐसे में इन दोषो का निवारण करके ही जीवन की परेशानियों से मुक्ति पायी जा सकती है | हम आपके लिए आज कुछ ऐसे मंत्रो की जानकारी लाये है, जिनकी मदद से आप इन दोषो से मुक्ति पा सकते है | आइये जानते है, आज की इस पोस्ट में आपके लिए क्या खास है |


यदि आपकी कुंडली में पितृ दोष है, जिस वजह से आपको परेशानी उठानी पड़ रही है, तो आप श्री कृष्ण मुखामृत का पाठ करे | इससे आपको पितृदोष से मुक्ति मिल जाएगी |



अशांत ग्रहो के कारण भी जीवन में परेशानी और अशांति उत्पन्न हो जाती है | ऐसे में आप इस समस्या के समाधान के लिए हवन के दौरान "नमोः भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करे | इस मंत्र का जाप करने से ग्रह शांत होते है, आप अपनी कुंडली में जिस भी ग्रह को शांत करना चाहते है, आप उससे जुड़े वार पर इस मंत्र का जाप करे |


कुंडली में दोष होने पर व्यक्ति अक्सर मानसिक तनाव में रहने लगता है | मानसिक तनाव जीवन में दुःख का कारण बनता है, ऐसे में आप भी अक्सर मानसिक तनाव से गुजर रहे है, तो आप "हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे | हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे" मंत्र का जाप करे | आप इस मंत्र का जाप प्रत्येक दिन शाम के समय 16 बार करे |


भगवान कृष्ण से जुड़े कई मंत्र और उपाय से जीवन से परेशानियों को समाप्त करने की क्षमता रखते है | लेकिन श्रीकृष्ण का द्वादशाक्षर मंत्र मूलमंत्र माना जाता है | अगर आपका जीवन परेशानियों से घिरा हुआ है और आये दिन कोई ना कोई परेशानी आती रहती है, तो आप इस मंत्र का जाप करे, जो कि नीचे दिया गया है |

नमो भगवते वासुदेवाय। विनियोग: अस्य श्रीद्वादशाक्षर श्रीकृष्णमंत्रस्य नारद ऋषि गायत्रीछंदः श्रीकृष्णोदेवता, बीजं नमः शक्ति, सर्वार्थसिद्धये जपे विनियोगः ध्यान: ‘चिन्ताश्म युक्त निजदोः परिरब्ध कान्तमालिंगितं सजलनैन करेण पत्न्या। ऋष्यादि न्यास पंचांग न्यास नारदाय ऋषभे नमः शिरसि। हृदयाय नमः। गायत्रीछन्दसे नमःमुखे। नमो शिरसे स्वाहा। श्री कृष्ण देवतायै नमः, हृदि भगवते शिखायै वषट्। बीजाय नमः गुह्ये। वासुदेवाय कवचाय हुम्। नमः शक्तये नमः, पादयोः। नमो भगवते वासुदेवाय अस्त्राय फट्।
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